For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किराए का घर--

शरीर,

लोभी और भोगी
सदैव आकर्षक, चकमक
किराए का घर
हवस की दीवारों पर टिकी
अहं - विकार की छत
बिखरी श्वेत चॉदनी पर चढा़ता
चाटुकारिता का रंग
टाड़-अलमारियों से झॉंकते
छल और कपट
सब मौन है।
ताख का टिमटिमाता दिया
किराएदार
आत्मा का वर्चस्व, संयमी-उद्यमी
र्निलिप्त कर्मो का प्रदाता
सॅवारता है सभी प्रकोष्ठ, सभ्य आचरण भी
बन्द खिड़कियो से चिपका
विवेक का वातानुकूलित सयंत्र
अनुरक्षण के दायित्व से मुक्त
तैनात करता एक कुशल प्रभारी अभियन्ता- मन ।
उद्विग्न चंचल इन्दियॉं
बेताब हठी श्वॉसें
बिन बुलाई मेहमान - धूल,
पर्त दर पर्त जम जाती ।
सिहर उठती आत्मा
पर्दो सी फड़फड़ताी
धूल चट कर जाती दीवारों को
ढह जाती है छत।
यम - नियम
मकान मालिक,

संरक्षक 
मॉगता है किराया-
आवास-बिजली और पानी का
संस्कारी आत्मा चुप,
पानी-पानी ।
वादी,

किराए का घर, स्वयं प्रस्तुत करता
मूर्खता के प्रमाण
पक्ष में खड़े हो जाते
ईष्र्या-द्वेष में लिप्त पड़ाेसी,
पूरा का पूरा गॉव खानाबदोस
ठगों का।
मकान मालिक,
मूक-बधिर, स्तब्ध... किंकर्तव्यविमूढ़!
बन्द कर लेता अपनी आखें-   योग में
रहस्य कभी प्रकट नही होता-  स्वयं से
आत्मा अजर-अमर,
पंचतत्व के कण-कण बच नही  पाते 
....... हवा की क्रूरता से,
परमात्मा सर्वत्र है...।

के0 पी0 सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2015 at 6:24pm

आ0   कान्ता जी,   कविता आपको पसन्द आई, मेरा लेखन सफल हुआ।  आपका बहुत.बहुत आभार, सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2015 at 6:24pm

आ0  जान भाईजी,     कविता आपको पसन्द आई, मेरा लेखन सफल हुआ।  आपका बहुत.बहुत आभार, सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2015 at 6:23pm

आ0  गोपाल  भाईजी,   कविता आपको पसन्द आई, मेरा लेखन सफल हुआ।  आपका बहुत -  बहुत आभार, सादार

Comment by kanta roy on June 17, 2015 at 3:39pm
मकान मालिक,
मूक-बधिर, स्तब्ध... किंकर्तव्यविमूढ़!
बन्द कर लेता अपनी आखें ........ ...... जीवन दर्शन का भाव लिये बहुत ही उम्दा रचना आदरणीय केवल प्रसाद जी
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 17, 2015 at 9:40am

बहुत बेहतरीन केवल आ० भाई केवल जी!हार्दिक बधाई!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 16, 2015 at 12:43pm

पंचतत्व के कण-कण बच नही  पाते 
....... हवा की क्रूरता से,
परमात्मा सर्वत्र है...।---------------कमाल है , बहुत बढ़िया. आ० केवल जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service