For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्मृतियाॅ....(कविता)

स्मृतियाॅ लेने लगी हैं आकार मूरतों का
स्मृतियाॅ वो....जो बह चली थी खुलते ही गाॅठ ओढनी की।
इक इक कर दाने यादों के आज के आॅगन में गिरने लगे
कुछ को देख हॅसी आॅखें,कुछ पे आॅखों से आॅसू गिरने लगे
कुछ जख्म नये देकर गये तो कुछ से जख्म पूराने भरने लगे।
कि स्मृतियाॅ................

खुशबुएॅ कुछ गुलाबों की करके कैद रखदी थी मैंने किताबों में 
पन्ने फडफडानें लगे अतीत के औ होकर आजाद वो बहने लगी
पंख तितलियों के भी मिल गये कुछ बसीयत की तरह दबे दबे
कुछ ने गिले शिकवे किये और कुछ फिर से उडने लगी
कि स्मृतियाॅ...........

मोती समझ जो बाॅद्य दिये थे अश्क कभी मैंने पल्लू से
दरिया बन बह चले वेा,सागर में फिर गिरने लगे
चुबंन छूटे होठों के,पलको का शरमाना छूटा
सालों से जो बंद पडे थे,प्रणयद्धार के वो कुंडे टूटे।
कि स्मृतियाॅ........

जाने किसने ढीली करदी गाॅठे उन यादों की ओढनी से
द्यीरे द्यीरे आस जीवन की फिर से उल्लासित होने लगी
दिल मिलने लगे दिल से साॅसे मद्युमासित होने लगी
होठों के कंपन लौट रहे, पलके शरमाना सीख रही
नजरे मौन रहकर अर्थ प््रोम का समझाने लगी कि
स्मृतियाॅ................

(मौलिक और अप्रकाशित)

व्ंदनामोदी गोयल, फरीदाबाद

Views: 381

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vandaanamodi goyal on June 16, 2015 at 11:01am

shree samer kabeer shab shree suneel ji and shree gopal narayen ji aap sab ka rachna ko sarhaney ke liye dil se sukeriya

Comment by Samar kabeer on June 13, 2015 at 11:02am
मोहतरमा वंदना मोदी गोयल जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by shree suneel on June 13, 2015 at 9:25am
भावपूर्ण कविता... सुन्दर प्रस्तुति.. . अच्छी लगी आदरणीया वंदना जी. हार्दिक बधाई आपको.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 12, 2015 at 8:09pm

भावों  का अच्छा और मुक्त प्रदर्शन है .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service