फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन/फ़इलुन
एक मिसरे में इधर मैंने मेरा दिल बाँधा
दूसरे में तेरे रुख़्सार का ये तिल बाँधा
यूँ लगा जैसे हुवा सारा ज़माना रौशन
मैंने दौरान-ए-ग़ज़ल जब महे कामिल बाँधा
ख़ून आँखों से टपकता है तो हैरत कैसी
तूने क्यूँ कस के बदन से ये सलासिल बाँधा
मुनकशिफ़ हो गया दुनिया पे मेरा फ़न आख़िर
उसने साफ़ा मेरे सर पे सर-ए-महफ़िल बाँधा
उस से अल्फ़ाज़ की कुछ भीक थी दरकार मुझे
इस लिये मैंने मियाँ शैर में साइल बाँधा
जिस क़दर दूँ मेरे दुश्मन को दुआ कम है "समर"
उसने क़ातिल को मेरे मद्दे मुक़ाबिल बाँधा
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महे कामिल:- पूरा चाँद
सलासिल :- बेड़ियाँ,ज़ंजीरें,सलासिल उर्दू का ऐसा शब्द है जिसे एक वचन और बहु वचन दोनों तरीक़े से ले सकते हैं जैसे "महासिल" ये महसूल की जमा है लेकिन इसे भी एक वचन और बहु वचन दोनों तरीक़ों से लिया जा सकता है ।
मुनकशिफ़ :- खुलना
मद्दे मुक़ाबिल :- आमने सामने
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"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
हमने सादर कहा, आदरणीय, अब छोड़िये इस बात को.
मुझे इंगित करना था कर दिया. वर्ना बोलने वाले 'आप अपना काम करिये' भी बोलते हैं. क्या कर लीजियेगा ?
सादर
//मैंने तो मेरा काम कर दिया,आपकी आप जानो" उम्मीद है आपकी तशफ़्फ़ी हो गई होगी ? //
यही तो हमने पूछा है, ’मैंने तो मेरा काम कर दिया,आपकी आप जानो’ व्याकरण सम्मत वाक्य नहीं है.
आपने मेरा पूरा कॉमेण्ट नहीं पढ़ा .. खैर कोई बात नहीं.
इतनी अच्छी गज़ल बहुत कम मिलती है... बहुत खुशी हुई इसे पढ़ कर। बधाई।
आदरणीय समर साहब, लोग रह-रह कर कमाल करते हैं, आप भी करते हैं, यह कोई नयी बात नहीं है. मज़ा ये है कि आप कमाल पर कमाल करते हैं. इस प्रस्तुति में भी यही कुछ हुआ है दिल से दाद कुबूल कीजिये, आदरणीय.
एक बात ज़रूर जानना चाहूँगा.
व्याकरण के लिहाज से मैं के साथ सम्बन्ध सर्वनाम आये तो अपना हो जाता है, मेरा नहीं. वैसे गुजरात या महाराष्ट्र में या इनकी ज़ानिब रहने वाले ’मैंने मेरा काम कर लिया है’ जैसे वाक्यों का प्रयोग करते हैं. लेकिन ये व्याकरण सम्मत वाक्य नहीं हैं. शुद्ध वाक्य है - मैंने अपना काम कर लिया है.
आप चूँकि ग़ज़लों में बोलचाल के शब्दो या वाक्यों के हिमायती नहीं हैं, इसी कारण पूछ रहा हूँ कि क्या ऐसे वाक्य मान्य होने चाहिये ?
दूसरी बात, मतले की सानी का दुसरे को दूसरे करना उचित होगा. यह बहर के अनुरूप भी है.
इस ग़ज़ल के लिए दिल से दाद कुबूल कीजिये, आदरणीय
शानदार ग़ज़ल
बस क्या कहूं..... वाह वाह वाह
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