For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक प्रयास आस्तित्व के लिए ( लघुकथा ) कान्ता राॅय

एक प्रयास आस्तित्व के लिए (लघुकथा )


भूमि उर्वरक थी । महत्वाकांक्षी थी, स्वंय के सर्वोच्च उत्पादन हेतु । वो ...... जिसके मालिकाना हक में बंधी हुई थी .... उदासीन निकला था ....भूमि के प्रति । जिसके परिणाम स्वरूप बंजर के उपनाम से उद्घोषित होने लगी थी ।

वह सृजन के लिए बेताब हो खरपतवार का ही पोषण करती गई । क्यों ना करें ..? सार्थक बीजों से मोहताज जो थी !
वह सृजन की अभिलाषी , अपना अभिलाषा चाहे कैसे भी पूरा करे ..!

राह चलते अब लोगों की नजर उस बड़ी बड़ी हरितिमा से सजी खरपतवार पर पड़ने लगीं ।
हठात् उसे देख चलते - चलते किसान के कदम ठिठक से गये , और उसकी आँखों में एक बिजली सी चमक उठी ।

कुछ ही महीनों पश्चात उस खेत में गेंहू की बालियाँ अठखेलियाँ करती हुई भूमि को आह्लादित कर रही थी ।

अपने आस्तित्व की हारती हुई लड़ाई आखिर भूमि ने जीत ही ली ।


कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on July 8, 2015 at 7:31am
हा हा हा हा ......नमन आपको आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 1:49am

//अब किसान बटाई पर मालिक से खेत माँग आया होगा या खरीद ही लिया होगा ... कुछ तो जुगाड़ लगाया ही होगा खेत को गेंहूँ की बालियों से सजाने के लिए । अब लघुकथा लिख रहे है सब कुछ लिख देंगे तो कही कहानी ना बन जाये इसलिए अनकहा ही रहने दिया //

हा हा हा हा.............

Comment by kanta roy on June 28, 2015 at 11:14pm
आभार आपको तहे दिल से आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी , अब किसान बटाई पर मालिक से खेत माँग आया होगा या खरीद ही लिया होगा ... कुछ तो जुगाड़ लगाया ही होगा खेत को गेंहूँ की बालियों से सजाने के लिए । अब लघुकथा लिख रहे है सब कुछ लिख देंगे तो कही कहानी ना बन जाये इसलिए अनकहा ही रहने दिया । आभार
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 28, 2015 at 12:43pm

आ० कान्ता जी

भूमि जिसके मालिकाना हक़ में थी  वह उदासीन था  भूमि के प्रति ------------ तो भूमि किसान के पास कैसे पहुँच गयी स्वतः  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service