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गजल- दिलबर का दीदार जिन्दगी

२२ २२ २२ २२

कहीं पे' ठण्डी' बयार जिन्दगी ।
कहीं लगे अंगार जिन्दगी ।।

पतझड और बहार जिन्दगी ।
सुख दुख का व्यापार जिन्दगी ।।

जाने कितने रंग से' खेलें।
होली का त्यौहार जिन्दगी ।।

नानी माँ की गोद में' है तो।
इमली,आम,अचार जिन्दगी ।।

इश्क के' मारों से जो पूछा।
दिलबर का दीदार जिन्दगी ।।

उनके होंटों के साहिल पर।
फूलों सी रसदार जिन्दगी ।।

कौन समझ पाया है इसको।
उलझन का संसार जिन्दगी ।।

कल राहुल फुटपाथ पे' देखी।
बेबस औ'र लाचार जिन्दगी ।।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 7:32pm

बढिया अभ्यास चल रहा है. मिले सुझाव पर ध्यान देते हुए आगे बढ़ें.

शुभेच्छाएँ

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 5, 2015 at 10:09am
आदरणीय वीनस भाई जी मैं आगे से इस पर ध्यान रक्खूंगा। सादर
Comment by वीनस केसरी on July 5, 2015 at 1:54am

अच्छी ग़ज़ल हुई है
बधाई स्वीकारें


ध्यान दें कि,
विशेष ढंग से पढने पर ही मतला बा-बहर लगता है
पहला शेर होने के कारण पाठक को बहर के बारे में पता नहीं होता, इसलिए वो बिना मात्र किराए पढ़ेगा और आगे शेर में उसी लय से पढ़ेगा तो दिक्कत महसूस होगी
फिर वो पहले मिसरे की बहर समझने के लिए उसे अलग अलग तरह से गिरा कर पढने की कोशिश करेगा
इतने भर में तो पाठकीय जोश समाप्त हो जाता है

इसलिए कोशिश करनी चाहये कि मतला में मात्रा न गिराई जाए या कम से कम गिराई जाए
इस तरह बिलकुल न गिराई जाए कि लय को समझने में पाठक उलझ कर रह जाए

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 3, 2015 at 7:30am
आदरणीय मिथिलेश वामनकर सर जी मैं शंका को स्पष्ट नहीं समझ पाया किस तरह की शंका क्या लय टूट रही है?
Comment by Rahul Dangi Panchal on July 3, 2015 at 7:29am
आदरणीय maharshi tripathi जी शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 3, 2015 at 12:23am

आदरणीय राहुल भाई जी 

बढ़िया ग़ज़ल हुई है बधाई 

मतला को लेकर सशंकित हूँ 

सीधे सीधे चार चौकल बनते तो ग़ज़ल और निखर जाती.

Comment by maharshi tripathi on July 2, 2015 at 11:29pm

कल राहुल फुटपाथ पे' देखी।
बेबस औ'र लाचार जिन्दगी ।।,,,,,,,वाह ,,,बहुत खूब आ. Rahul Dangi  जी |

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 2, 2015 at 9:57pm
आदरणीय MAHIMA SHREE जी बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Rahul Dangi Panchal on July 2, 2015 at 9:56pm
आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी शुक्रिया
Comment by MAHIMA SHREE on July 2, 2015 at 9:24pm

नानी माँ की गोद में' है तो।
इमली,आम,अचार जिन्दगी ।।....बेहद उम्दा

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