For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल--मेरी किस्मत के पन्नों में कोई हरकत नहीं दिखती।

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
बहुत दिन हो गये अब भी कहीं राहत नहीं दिखती।
मे'री किस्मत के' पन्नों में को'ई हरकत नहीं दिखती।।
***
सभी मन्दिर में' मस्जिद,चर्च में दिल ले के' भटका हूँ।
किसी मजहब में' दुनिया के मुझे कुदरत नहीं दिखती।।
***
ते'री फुरकत के' तीरों ने किया हैं आश तक घायल।
मुझे अफसोस है तुझको मे'री हालत नहीं दिखती।।
***
सनम इक जख़्म रो रो कर बडी जिद करता' है मुझसे।
कहाँ से ला के' दूँ तुझको इसे गुरबत नहीं दिखती।।
***
हमारी जे़ब में सोने का' इक सिक्का नहीं है और।
मुहब्बत की जमाने में को'ई कीमत नहीं दिखती।।
***
तुम्हारे ख़त के' इक कोने में' बैठा रो रहा हूँ मैं।
किसी भी शब्द के लब पर मुझे चाहत नहीं दिखती।।
***
वफा से आज 'राहुल' जो जरा सा हट के' देखा तो।
समझ आया कि क्यूं उसको मे'री जिल्लत नहीं दिखती।।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 834

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 8, 2015 at 2:08am
आदरणीय Saurabh Pandey जी आपकी टिप्पणी बहुत ही उत्साहवर्धक है। बस यूं ही स्नेह बनाए रखें और मुझ जैसे नौसिखिया का मार्ग दर्शन करते रहें। जब कमीयों का पता चलता है तब ही कोई सीख पाता है। सादर आभार ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 1:35am

आप बहर में कह रहे हैं और भाव निभ रहे हैं यह कम बड़ी बात नहीं ! भाई राहुल जी ऐसे अभ्यास का क्रम बना रहे

हार्दिक शुभेच्छाएँ.

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 1, 2015 at 8:32pm
आदरणीय कान्ता राय जी गजल के भाव को समझने हेतु दिल की तह से शुक्रिया ।
Comment by kanta roy on July 1, 2015 at 8:22pm
ते'री फुरकत के' तीरों ने किया हैं आश तक घायल।
मुझे अफसोस है तुझको मे'री हालत नहीं दिखती।।.....वाह !!!!! हर शेर दिल को चीर जाते है ....लाजवाब गजल लिखी है आपने
Comment by Rahul Dangi Panchal on June 29, 2015 at 6:56pm
आदरणीय धर्मेन्द जी शुक्रिया
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2015 at 6:21pm

अच्छी ग़ज़ल के बधाई स्वीकारें

Comment by Rahul Dangi Panchal on June 29, 2015 at 2:00pm
आदरणीय मनोज भाई जी शुक्रिया । पुलिस की नौकरी से टाइम निकालना बहुत ही मुश्किल है। आदरणीय बस किस्तों में लिखता हुँ । एक शे'र आज एक कल ।
Comment by मनोज अहसास on June 29, 2015 at 1:27pm
वाह वाह वाह
बस ये बता दीजे सर
के बहर और ड्यूटी एक साथ कैसे साध लेते है
बहुत खूब
सादर
Comment by Rahul Dangi Panchal on June 29, 2015 at 10:33am
आदरणीय गिरीराज जी से विन्रम निवेदन है । क्रपया एक बार पुन: अवलोकन करें सादर
Comment by Rahul Dangi Panchal on June 28, 2015 at 6:57pm
किसी भी शब्द में तेरे मुझे उल्फत नहीं दिखती।।

की जगह क्या यह ठीक रहेगा। किसी भी शब्द के लब पर मुझे उल्फत नहीं दिखती।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
15 hours ago
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service