For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वांग धरे तरै तरै
कुरता और टोपी धरे
देखो कैसे कैसे आए
संसद भवन में

बातें करे बड़ी बड़ी
जनता की है किसे पड़ी
वही तो नेता कहाए
संसद भवन में

राज राज करे बस
नीति सारी भूल जाएँ
हैं सारे छंटे-छंटाये
संसद भवन में

भूख से हैं मरते जहाँ
हजारों औ लाखों लोग
ये बिना डकारे खाएं
संसद भवन में

इसे खरीद, उसे बेच, इसे जोड़, उसे तोड़
जैसे तैसे करके, लेते ये आकार हैं
ऐसे में भलाई की सुधि कब कौन लेवे
कहते हैं गठबंधन है, हम लाचार हैं
तुम्हारी तो परवाह करेंगे थोड़ा रुक कर
हाल-फिलहाल तो बचानी सरकार है
तुमने चुना, और चुनो, अब बैठे सर धुनों
पाँच साल हम बिताएं, संसद भवन में

कोई पांचवी है फ़ैल, कोई बीए एमए पास
अन्दर तो लगते सारे जाहिल गंवार हैं
इसने कही उसने सुनी, हो गई जो कहासुनी
हो जाती है गुत्थमगुथ्था, जूतमपैजार है
देख कर ये दृश्य सारे, अपने टीवी सैटों पर
देश की ये जनता होती कितनी शर्मसार है
शीत हो या मानसून सत्र, प्रश्न हो या शून्यकाल
मच्छी बाजार नजर आए संसद भवन में

चौरासी हो, बाबरी हो, बॉम्बे हो या हैदराबाद
कहीं न कहीं सबके अन्दर ही सूत्रधार हैं
कोई रचे नंदीग्राम, कहीं कोई और संग्राम
सारे के सारे इनके महान शाहकार हैं
बिना लाज, बिना शर्म, करते जाएँ ऐसे करम
देश की जनता से नहीं, इनको सरोकार है
निर्ममता से मरवाते हैं, जैसे ये निर्दोषों को तो
क्यूँ हम इनको भेजे जाएँ संसद भवन में

दुष्यंत............

Views: 425

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on September 6, 2011 at 3:21pm

bahut sahi chitran hai aaj ke yathaarth kaa dushyant ji ye kavita aaj ki paristhiti men janta ki awaaz hai haardik badhai !!

Comment by satish mapatpuri on June 11, 2010 at 3:29pm
कोई पांचवी है फ़ैल, कोई बीए एमए पास
अन्दर तो लगते सारे जाहिल गंवार हैं
इसने कही उसने सुनी, हो गई जो कहासुनी
हो जाती है गुत्थमगुथ्था, जूतमपैजार है
देख कर ये दृश्य सारे, अपने टीवी सैटों पर
देश की ये जनता होती कितनी शर्मसार है
शीत हो या मानसून सत्र, प्रश्न हो या शून्यकाल
मच्छी बाजार नजर आए संसद भवन में
बहुत ही सुन्दर ------------ धन्यवाद.
Comment by Rash Bihari Ravi on June 11, 2010 at 1:40pm
khubsurat rachna
Comment by Admin on June 11, 2010 at 11:55am
बातें करे बड़ी बड़ी
जनता की है किसे पड़ी
वही तो नेता कहाए
संसद भवन में
दुष्यंत जी आपने तो धो डाला है ओ भी बिना डिटर्जेंट के , आपकी रचना मे आम जनता की सोच साफ़ झलकती है की वो क्या सोचते है इन नेताओ के बारे मे, जब तक इन निति बनाने वालो का नियति साफ़ नहीं होगा इनकी छवि नहीं सुधरेगी, बहुत ही ससक्त अभिव्यक्ति है दुष्यंत जी , बधाई स्वीकार करे,
Comment by दुष्यंत सेवक on June 11, 2010 at 11:51am
is rachna ko aadarneeya swargiya shri omprakash aditya ki lay me likhne ki koshish ki hai....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
14 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service