For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - फिल बदीह -- सरे सुब्ह लगता है फिर रात होगी ( गिरिराज भंडारी )

122     122     122      122

पियादे से राजा की फिर मात होगी

सरे सुब्ह लगता है फिर रात होगी

 

दिशायें जहाँ पर समझ की अलग हैं

वहाँ अब ठिकाने की क्या बात होगी 

 

समझ कर ज़रा आप तस्लीम करिये

वो देते नहीं हक़ , ये ख़ैरात होगी

 

वही सुब्ह निकली , वही धूप पसरी

नया कुछ नहीं तो , वही रात होगी

 

यहाँ साजिशों में लगे सारे माहिर

सँभल के, यहाँ पीठ पर घात होगी

 

बड़ा ख़्वाब जिसका है, दिल भी बड़ा हो

कहीं बाँटनी भी तो ख़ैरात होगी

 

हरिक जा है फिसलन, गिरे तुम नहीं जो

नये युग की ख़ातिर ये सौगात होगी

 

वो रूठे हुये हैं , महज़ ख़्वाब है ये 

कि उनसे कभी अब मुलाकात होगी

 

क़याम उनका संभव महल में हुआ है

वो नेता है, साथ उसके , बारात होगी

अभी मंज़िलों की न सोच ऐ मेरे दिल

अभी तो सफर की महज़ बात होगी

**********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

 

Views: 734

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 5, 2015 at 10:47am
सही कहा सर दोनों में अलिफ़ वस्ल है आखिरी शेर के दोनों मिसरों में

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 5, 2015 at 8:39am

आदरणीय वीनस भाई , आपने दो - दो शे र कोट करके मुझे प्रसन्न कर दिया । आपका आभारी हूँ ।

शुतुरगुरबा , सही मे है , मै  ज़रूर सुधार कर लूँगा ।  आपका पुह्ण आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 5, 2015 at 8:36am

आदरणीय मिथिलेश भाई , सराहना के लिये आपका बहुत आभार ।

मिसरा बेबहर  नही है  आदरणीय , दोनो मिसरों मे अलिफ वस्ल का उपयोग हुआ है 

वो नेता / है सा थुस / के बारा / त होगी  

अलबत्ता शुतुर्गुर्बा ज़रूर है , आ. वीनस भाई जी ने इशारा किया है  , जिसे सुधारना है ॥  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 5, 2015 at 8:31am

आदरणीय नरेन्द्र भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 5, 2015 at 8:30am

आदरणीय मोहन भाई , हौसला अफज़ाई का बे हद शुक्रिया ॥

Comment by वीनस केसरी on July 5, 2015 at 1:26am

समझ कर ज़रा आप तस्लीम करिये

वो देते नहीं हक़ , ये ख़ैरात होगी

 

वही सुब्ह निकली , वही धूप पसरी

नया कुछ नहीं तो , वही रात होगी

आय हए हए ... क्या कहने गज़ब अशआर हुए हैं .... मज़ा आ गया

मेरे ख्याल से शुरुआत ११२१ को केवल २२१ किया जा सकता है ....


क़याम उनका संभव महल में हुआ है

वो नेता है, साथ उसके , बारात होगी

शुतुरगुरबा पर गौर फरमाएं ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 4, 2015 at 10:54pm
आदरणीय गिरिराज सर
बढ़िया ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई।
आखिरी मिसरा बेबह्र लग रहा है
सादर
Comment by narendrasinh chauhan on July 4, 2015 at 6:50pm

बेहद उम्दा ग़ज़ल ,  आफरीन आफरीन

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on July 4, 2015 at 5:59pm

क्या खूब कहा .....

अभी मंज़िलों की न सोच ऐ मेरे दिल

अभी तो सफर की शुरुवात होगी

सभी शेर उम्दा ....सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service