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जमाना बाज कब आता है हमको आजमाने से
न हो जाना कहीं जख्मी कभी इसके निशाने से
हमेशा जंग वो जीता किये हों सर कलम जिसने
कभी जीता नही कोई भी अपना सर कटाने से
करे जो बात दुनिया की उसी की लोग सुनते हैं
किसी को वास्ता कैसा भला तेरे फसाने से
कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का
लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने से
शिकायत लाख तुम रखना दिलों में दोस्त तुम मेरे
मैं दिल को जीत ही लूँगा मुहब्बत के तराने से
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( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
हमेशा जंग वो जीता किये हों सर कलम जिसने
कभी जीता नही कोई भी अपना सर कटाने से
वाह! आ० बहुत सुन्दर गज़ल हुयी है! बधाई
कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का
लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने से
वाह वाह! क्या कहने सचिन भाई! क्या गजल कही है! ...दाद कबूल हो!
आदरणीय गिरिराज जी ....... गजल पर आपकी उपस्तिथि और आपका प्रोत्साहन पाकर बेहद प्रसन्नता हुई..... ऐसे ही स्नेह बनाए रखें हार्दिक आभार आपका !
आदरणीय मिथलेश वामनकर जी ....... गजल पर आपका प्रोत्साहन पाकर मन प्रसन्न हुआ हार्दिक आभार !
आपका हार्दिक आभार आदरणीय सुनील प्रसाद जी ....... आपके उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आपका !
आदरणीय, विनय कुमार सिंह जी गजल आपको पसंद आई इसके लिए दिल से आभार आपका !
आ. धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी , आपका हार्दिक आभार प्रोत्साहन के लिए !
आदरणीय सचिन भाई , लाजवाब गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।
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