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1222 /  1222  /1222 / 1222

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जमाना बाज कब आता है हमको आजमाने से

न हो जाना कहीं जख्मी कभी इसके निशाने से  

       

हमेशा जंग वो जीता किये हों सर कलम जिसने 

कभी जीता नही कोई भी अपना सर कटाने से 

 

करे जो बात दुनिया की उसी की लोग सुनते हैं

किसी को वास्ता कैसा भला तेरे फसाने से 

 

कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का

लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने से

 

शिकायत लाख तुम रखना दिलों में दोस्त तुम मेरे  

मैं दिल को जीत ही लूँगा मुहब्बत के तराने से

 

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 ( मौलिक व अप्रकाशित ) 

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Comment by विनय कुमार on July 6, 2015 at 9:15pm

// कभी धेला तलक बांटा नहीं जिसने कमाई का
लगा है बांटने सिक्के वो सरकारी खजाने से // , बहुत बढ़िया ग़ज़ल , बधाई आदरणीय..

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 6, 2015 at 6:04pm

बहुत खूब सचिन जी

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