For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सनकी ( लघुकथा )

विदेशी कुर्सी,दुनिया की नम्बर एक साॅफ्टवेयर कम्पनी , लाखों का पैकेज। ....लेकिन मन...? एक बंधन सदा मन को जकड़े रहता था । कितने वेब डिजाइन किए।पर प्रोजेक्ट की सफलता खुशी कहाँ दे पाती थी ।

देश के प्रति जिम्मेदारी ....
वतन की मिट्टी की पुकार ,अपने बन्धन में जकड़ रही थी ।

उसके भारतीय सहकर्मी भी विदेशी नीति से संतुष्ट नहीं थे ।

गिरीश के नेतृत्व में जब उनलोगो ने लाखों के पैकेज वाली नौकरी से इस्तीफ़ा दिया तो सहयोगियों ने उन्हें " सनकी " की उपाधि से नवाज़ा ।

आते वक्त गिरीश ने मीटिंग में सिर्फ एक ही बात कही थी कि,

" हमारी समस्त ऊर्जा और प्रतिभा हमारे देश की धरोहर है और हम देश को उनकी धरोहर लौटाने जा रहे है । " जिसे सुनकर मैनेजमेंट भौेचक्का रह गया था।

आज वे " सनकी " दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं नम्बर वन मल्टीनेशनल कम्पनी के फाऊँडर के रूप में ।



कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on July 14, 2015 at 7:56pm
हृदय तल से आभार आपको आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी कथा पर बेहद सार्थक प्रतिक्रिया के लिए
Comment by pratibha pande on July 14, 2015 at 6:49pm

भारत  को  विश्व  में  उंचा  स्थान  स्थान  दिलाने  के  लिए  ऐसे  और  भी  लाखों  सनकी  चाहिए  हमे I  बहुत  अच्छी  रचना आ० कांता रॉय जी 

Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 9:52pm
आभार आपको कथा पसंद करने के लिए आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार जी ।
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 9:49pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , इस कथा पर मुझे आपसे यह सलाह चाहिए कि लघुकथा के " अनकहा " के अंतर्गत नीचे वाली पंक्तियों को अगर हटा दू तो क्या सही रहेगा ??
कृपया मार्गदर्शन करें यहाँ ।निम्नलिखित पंक्तियाँ के ना रहने से क्या कथा पर प्रभाव पडेगा ?
" आज वे " सनकी " दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं नम्बर वन मल्टीनेशनल कम्पनी के फाऊँडर के रूप में ।"
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 13, 2015 at 9:46pm

बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीया कांता जी. इस सकारात्मक प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 9:44pm
आपको कथा अच्छी लगी तो मेरा लिखना सार्थक हुआ आदरणीया राजेश कुमारी जी आभार आपको हृदय तल से ।
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 9:43pm
आभार आपको आदरणीय प्रदीप जी कथा पंसदगी के लिए ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 13, 2015 at 3:45pm

बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीया कांता जी. इस सकारात्मक और प्रेरणास्पद प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 13, 2015 at 2:44pm

वाह्ह्ह बहुत  शिक्षाप्रद अच्छी सकारात्मक  सोच वाली लघु कथा काश आज के युवा इस बात को समझें 

हार्दिक बधाई आ० कांता जी 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 13, 2015 at 12:57pm

प्रेरक कथा 

अनुकरणीय 

सादर बधाई 

आदरणीया जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
32 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर नज़र ए करम का जी गुणीजनो की इस्लाह अच्छी हुई है"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मार्ग दर्शन व अच्छी इस्लाह के लिए सुधार करने की कोशिश ज़ारी है"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय इतनी बारीक तरीके से इस्लाह करने व मार्ग दर्शन के लिए सुधार करने की कोशिश…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन पर आपकी सूक्ष्म समीक्षात्मक उत्तम प्रतिक्रिया का दिल…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला नहीं हुआ,  जनाब  ! मिसरे परस्पर बदल कर देखिए,  कदाचित कुछ बात  बने…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आराम  गया  दिल का  रिझाने के लिए आ हमदम चला आ दुख वो मिटाने के लिए आ  है ईश तू…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्श के लिए आभार। तीसरे शेर पर…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"तरही की ग़ज़लें अभ्यास के लिये होती हैं और यह अभ्यास बरसों चलता है तब एक मुकम्मल शायर निकलता है।…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"एक बात होती है शायर से उम्मीद, दूसरी होती है उसकी व्यस्तता और तीसरी होती है प्रस्तुति में हुई कोई…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी हुई। बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम से कभी अपने भूखे को किसी रोटी खिलाने के लिए आ. दूसरी…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी निबाही है आपने। मेरे विचार:  भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आ इन्सान को इन्सान…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service