For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुद को देशभक्त समझने वाले राम ने रहीम से कहा, “तुमने देशद्रोह किया है।”

रहीम ने पूछा, “देशद्रोह का मतलब?”

राम ने शब्दकोश खोला, देशद्रोह का अर्थ देखा और बोला, “देश या देशवासियों को क्षति पहुँचाने वाला कोई भी कार्य।”

बोलने के साथ ही राम के चेहरे का आक्रोश गायब हो गया और उसके चेहरे पर ऐसे भाव आए जैसे किसी ने उसे बहुत बड़ा धोखा दिया हो। न चाहते हुए भी उसके मुँह से निकल गया, “हे भगवान! इसके अनुसार तो हम सब....।”

रहीम के होंठों पर मुस्कान तैर गई।

--------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on February 28, 2016 at 7:37am
राम विपरीत रहीम लेना सोची हुई साजिश है इनकी कोई और भी ले सकते थे जब हिन्दुओं से इतनी ही नफरत है तो इस्लाम को कबूल कर के कहिये ये लघुकथा । कबुल तो आप कर चुके है यह तो सपष्ट है क्यूं कि आपनी अनेकों पोस्ट से यह साबित हो रहा है
Comment by Rahul Dangi Panchal on February 28, 2016 at 7:28am
ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करके अच्छी प्रसिद्धी पाओगे धरमेन्द्र जी बडे लेखक बन जाओगे आप ।
Comment by Rahul Dangi Panchal on February 28, 2016 at 7:25am
हरिकिशन जी इतिहास तो इन्होंनें अच्छी तरह पढा और ये इतिहास को बदलना चाहते है। मुझे भी फेसबुक पर कहा " तुम भगत सिंह को हीरो मानते हो कभी उनके बारे में पढों तो सच सामने आ जाएगा और महिषासुर और रावण इनके देवता और आजकल फेसबुक पर भी ये उनके ु्रचा प्रचारक है।
Comment by Rahul Dangi Panchal on February 28, 2016 at 7:17am
देशद्रोह की कोई परिभाषा कैसे बना सकते हो आप इसकी गंध ही काफी है इसे साबित करने के लिए ।
Comment by Neeta Saini on October 19, 2015 at 1:56pm
आदरणीय धमेन्द्र कुमार जी बहुत ही बढ़िया कथा हुई है पञ्च भी बहुत जबरदस्त है आपकी लेखनी को नमन आपकी अगली रचना का इन्तज़ार रहेगा ..
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2015 at 9:53am
मेरा लेखक से विनम्र निवेदन है कि इस उत्कृष्ट लघु कथा में एक पैराग्राफ और जोड़कर प्रतीकात्मक पात्र राम की तरह प्रतीकात्मक पात्र रहीम को भी दूसरे धर्म के देशद्रोहों के लिये शर्मिन्दा होते शीघ्र ही दर्शा दें। सादर
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2015 at 9:35am
एक और पैरा ग्राफ जोड़कर रहीम को भी शर्मिन्दा करा दें , विवाद ख़त्म हो जायेगा पाठकों में।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2015 at 9:33am
शायद वातावरण के तरफ संकेत करने के लिए प्रतीकों के रूप में नामों का प्रयोग किया गया है, रचनाकार नामों के चुनने पर अपना नज़रिया स्पष्ट करें।
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 19, 2015 at 12:39am

आदरणीय शिज्जू जी, आप ठीक कह रहे हैं। आगे मैं जहाँ भी ये रचना प्रकाशित करवाऊँगा राम / रहीम को आपस में बदल दूँगा।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 11, 2015 at 1:19pm
आदरणीय धर्मेंद्र जी आपकी लघुकथा पर आई टिप्पणी को देखकर ऐसा लग रहा है कि चर्चा मूल विषय से हट गई है। इस रचना में आपने सुनी सुनाई बातों के आधार पर दूसरों पर अनर्गल कटाक्ष करने वालों पर व्यंग्य किया है बस आप रहीम और राम को आपस में बदल लें सभी की शिकायतें दूर हो जायेंगी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service