खुद को देशभक्त समझने वाले राम ने रहीम से कहा, “तुमने देशद्रोह किया है।”
रहीम ने पूछा, “देशद्रोह का मतलब?”
राम ने शब्दकोश खोला, देशद्रोह का अर्थ देखा और बोला, “देश या देशवासियों को क्षति पहुँचाने वाला कोई भी कार्य।”
बोलने के साथ ही राम के चेहरे का आक्रोश गायब हो गया और उसके चेहरे पर ऐसे भाव आए जैसे किसी ने उसे बहुत बड़ा धोखा दिया हो। न चाहते हुए भी उसके मुँह से निकल गया, “हे भगवान! इसके अनुसार तो हम सब....।”
रहीम के होंठों पर मुस्कान तैर गई।
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(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
सर
आपने जो स्पष्टीकरण दिया है वो इस कथा को स्पष्ठ करता है या नहीं ये निर्णय मै मंच की जिम्मेदार आवाज़ों पर छोड़ देता हूँ
पर मेरी टिप्पणी पूर्ववत ही है. किसी को भी ये अधिकार नहीं है कि वो राम को लेबल की तरह इस्तेमाल करे. ये आज़ादी नहीं है आपको भी नहीं.
मैं आपका सम्मान हमेशा करता रहा हूँ. करता हूँ. स्वयं आपसे सटीक निर्णय की चाह रखता हूँ. कुछ भी निजी नहीं है. पर सटीक जवाब की चाह है छोटे भाई को क्षमा आप कर ही देगे.
सादर
आदरणीय मनोज जी।
क्या लिखना है क्या नहीं ये निर्णय करना रचनाकार का अधिकार है।
क्या प्रकाशित करना है क्या नहीं यह निर्णय करना संपादक का अधिकार है।
रचना कैसी लगी अच्छी / बुरी / बकवास यह निर्णय पाठक स्वविवेक से ले सकता है।
पाठक यह सुझाव भी दे सकता है कि रचना को कैसे बेहतर बनाया जाय। आपके सुझाव से मुझे लघुकथा बेहतर होती नहीं लग रही है।
"हमेशा राम को ही दोषी न ठहराइए?" मैं किसी को दोषी नहीं ठहरा रहा हूँ। मैं केवल एक शब्द का अर्थ बताने की कोशिश कर रहा हूँ जिसे एक लेबल की तरह अपने फ़ायदे के लिए किसी के भी माथे पर चिपका दिया जाता है बिना इस शब्द का अर्थ जाने।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मिथिलेश जी।
आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, बहुत शानदार लघुकथा हुई है. पंचलाइन जबरदस्त हुई है, जैसे अपने ही सच को अचानक किसी ने उघाड़ दिया हो, बिलकुल झटके से..... बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर
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