For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :यूँ ख़फ़ा भी कहाँ थे /श्री सुनील

2122 1212 22

यूँ ख़फ़ा भी कहाँ थे तब हम पर
तुम बहुत जाँ फ़िशाँ थे तब हम पर

उन दिनों खेलते थे तारों से
तुम हुए आस्मां थे तब हम पर

मन मुताबिक़ जहाँ में जी लेंगे
त़ारी कितने गुमां थे तब हम पर.

याद आई गली वो रूस्वाई
चीखते सब दहां थे तब हम पर.

हम तरद्दुद न इश्क़ के मानें
वो जुनूं हाँ जी हाँ थे तब हम पर.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shree suneel on August 12, 2015 at 4:26pm
आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी, ग़ज़ल पे आने और इस शे'र को खा़स तौर से पसंद करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 11, 2015 at 5:48pm

आदरणीय सुनील जी मन मुताबिक़ जहाँ में जी लेंगे
त़ारी कितने गुमां थे तब हम पर. इस ग़ज़ल के इस शेर के लिए बिशेष रूप से दाद स्वीकार करें सादर 

Comment by shree suneel on August 11, 2015 at 4:50pm
आदरणीय गिरिराज सर जी, ग़ज़ल पे आपकी उपस्थिति व सकारात्मक प्रतिक्रिया से प्रसन्नता हुई. ग़ज़ल को मान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सर. सादर
Comment by shree suneel on August 11, 2015 at 4:19pm
आदरणीय समर कबीर सर जी, आपसे मिली प्रशंसा पुरस्कार है. हौसला बढ़ता है. ग़ज़ल के प्रति यकीन बढ़ जाता है.
सराहना के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय.
Comment by shree suneel on August 11, 2015 at 4:04pm
ग़ज़ल पे आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया से खुश हूँ. इस सराहना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय रवि शुक्ला जी. सादर
Comment by shree suneel on August 11, 2015 at 3:52pm
सराहना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथलेश वामनकर सर. सादर.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2015 at 10:24am

आदरनीय श्री सुनील भाई ,

मन मुताबिक़ जहाँ में जी लेंगे
त़ारी कितने गुमां थे तब हम पर.  --  बहुत सुन्दर बात कही ! गज़ल के लिये और इस शे र के लिये दिली मुबारकबाद आपको ।

Comment by Samar kabeer on August 10, 2015 at 11:25pm
जनाब श्री सुनील जी,आदाब,वाह ,मज़ा आ गया ग़ज़ल सुन कर ,दिल बाग़ बाग़ हो गया ,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by Ravi Shukla on August 10, 2015 at 1:01pm

आदरणीय सुनील जी छोटे छोटे शेर में गहरी गहरी बात बहुत खूब

बढि़या ग़ज़ल के लिये बधाई स्‍व्‍ीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 10, 2015 at 12:36pm

आदरणीय सुनील जी बढ़िया ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, आपने जिस विस्तार से प्रत्येक मिसरा पर धान दिया है वह मंच की गरिमा के अनुरूप…"
31 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति पर जिस उदारता और आत्मीयता से आदरणीय तिलकराज सर ने समय दिया…"
34 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. शिज्जू भाई कवि का काम कविता करना है ..जिन ग्रंथों में यह कथा वर्णित है वे भी कविताएँ ही…"
35 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. ऋचा जी,मतले के ऊला में लाचार भी करते रहे.. ठीक नहीं है लाचार होता है , किया नहीं…"
37 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपने जिस संदर्भ में कहा है वो तो समझ गया था, मगर सामान्य परिप्रेक्ष्य में देवताओ को लिए इस शब्द से,…"
38 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीया ऋचा जी,   अपने दिल को हर घड़ी लाचार भी करते रहे दुश्मन-ए-जाँ से मगर हम प्यार भी…"
52 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई ..अहिल्या की कथा पढेंगे तो पाएंगे कि इंद्र ने क्या किया था सादर "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय निलेश जी, अच्छी गज़ल हुई है,सादर बधाई आपकोअच्छी गज़ल हुई है,  दासपन स्वीकारते हैं दे के…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय नीलेश भाई बहुत शुक्रिया, उद्धार को तंजिया लहजे में लिखा था। आपका सुझाव मानीख़ेज है, मैं…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जीप्रस्तुत ग़ज़ल पर आदरणीय श्री तिलकराज कपूर ने सुझाव दे ही दिया है। मुशायरे…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"2122 2122 2122 212 अपने दिल को हर घड़ी लाचार भी करते रहे दुश्मन-ए-जाँ से मगर हम प्यार भी करते रहे…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
".जीव में उत्साह का संचार भी करते रहे, दीप जल कर रात का प्रतिकार भी करते रहे. . छल -कपट से देवता…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service