For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दी गज़ल - अब हृदय में आपका आना मना है ( गिरिराज भंडारी )

2122   2122   2122

आप रो देंगे बहुत संभावना है

अब हृदय में आपका आना मना है

 

अब क्षितिज पर फिर उजाला दिख सकेगा

यों, अँधेरा इस पहर काफी घना है

 

एक घर के दुख में सारा गाँव देखो

इस सिरे से उस सिरे तक अनमना है

 

रक्त से क्या रक्त धोया जा सकेगा ?

ज्यों कहावत कांटों को लेकर बना है

 

आज देही, देह खा जाये न अपना

सोच कर इस देह में उत्तेजना है

 

आप पिघलें तो बहें , रोकें न बहना

कोई ठहरा है , ये उसकी भावना है

 

कर्म का संकेत , कहता है अलग कुछ

वैसे मेरी आपको शुभ कामना है

 

अब अकेला मित्र मुझको छोड़ जाओ

आज मेरा मुझसे ही बस सामना है

**********************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 899

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on August 14, 2015 at 7:02pm
अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय गिरिराज सर । दिल से दाद स्वीकार करें।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 11:49am

आदरणीया कांता जी गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by kanta roy on August 13, 2015 at 10:49am
आज देही, देह खा जाये न अपना
सोच कर इस देह में उत्तेजना है
...... हृदय विदारक दृश्य इंगित हुआ है इस शेर में । बहुत गहरी बात को इस छोटी सी पंक्ति में समेट दिये है आपने आदरणीय गिरीराज भंडारी जी ...... बेमिसाल गजल हुई है ये । बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 10:45am

आदरणीया राजेश जी , आपकी सराहना से हिम्मत दोगुनी हो गई , आपका ह्र्दय से आभारी हूँ ।

कहावत के विषय मे सोचना पड़ेगा , तब फैसला ले लूंगा , मेरी जानकारी के अनुसार तो स्त्रीलिंग है , अगर ये सही है तो शेर खारिज है ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 12, 2015 at 8:30pm

बहुत सुन्दर मतला ,बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही आ० गिरिराज जी दिल से बधाई लीजिये |पहला कमेन्ट उड़ गया जाने कैसे |कहावत मेरे शब्दकोश में तो पुर्ल्लिंग ही दिखा रहा है अब मेरे लिए भी जिज्ञासा का विषय है की सही क्या है |

कर्म का संकेत , कहता है अलग कुछ

वैसे मेरी आपको शुभ कामना है

 बहुत खूब 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 12, 2015 at 8:15pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आ० गिरिराज जी हार्दिक बधाई |कहावत हम लोग स्त्रीलिंग की तरह यूज करते हैं किन्तु मेरे भी शब्दकोश में पुर्लिंग लिखा हुआ है तो मेरे लिए भी जिज्ञासा का विषय बन गया की सही क्या है|मतला बहुत सुन्दर है....

कर्म का संकेत , कहता है अलग कुछ

वैसे मेरी आपको शुभ कामना है

 बहुत खूब 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 12, 2015 at 6:30pm

आदरणीय पाठकों ---

एक ग़लती  होगई है , कहावत स्त्रीलिंग शब्द है , अतः इस शे र को पाठक ग़ण खारिज मानें , ग़ज़ल से हटाना भूल गया हूँ । आगे इसे  गज़ल से हटा दूंगा ।  सादर निवेदन ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 12, 2015 at 6:29pm

आदरणीय श्री सुनील  भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।

आदरणीय , संयुक्ताक्षर - क्ष   त्र   ज्ञ   अपने पहले आने वाले व्यंजन को  अगर वो एक मात्रिक है तो  2 कर देते हैं , और स्वयम जैसे के वैसे रहते हैं , अगर एक मात्रिक है तो  एक और दो मात्रिक है तो  दो , जैसे --

पत्र  = 21 (  त्र  अपने पहले वाले प जो एक मात्रिक है को 2 कर दिया )

मित्र = 21 ,  मि एक मात्रिक है जिसे  त्र 2 कर दिया 

अगर संयुक्ताक्षर के पहले 2 मात्रिक पहले से है तो कोई परिवर्तन नही होगा - जैसे कि आपने पूछा है , मात्रा = 22 होगा  ।

आशा है आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 12, 2015 at 6:19pm

आदरणीय सुलभ भाई , आपकी गौरवशाली उपस्थिति और सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 12, 2015 at 6:18pm

आदरणीय नरेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service