For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौन कहता है कि मैं गिर के धुआँ हो जाऊँगा

2122 2122 2122 212
कौन कहता है कि मैं गिर के धुआँ हो जाऊँगा
मैं गिरा तो जानिये आबे रवाँ हो जाऊँगा

जब तलक ज़िंदा हूँ तेरी खैर है ऐ नामुराद
जी न पायेगा अगर मैं जाविदाँ हो जाऊँगा

इस ज़मीं के ख़ुल्द हो जाने की चर्चा आम है
ये न समझे कोई मैं भी हमज़बाँ हो जाऊँगा

ये क़लम मजबूरियों ने बाँधकर तो रख दिया
खुश न हो ये सोचकर मैं नातवाँ हो जाऊँगा

फ़ाइदा क्या रोकने से यूँ मेरी आवाज़ को
ख़ामुशी खुद बोल उठेगी चुप जहाँ हो जाऊँगा

अह्दे हाज़िर में ख़िलाफ़त तो ज़रुरी है बहुत
गर किसी का हो न पाया बे-अमाँ हो जाऊँगा

देखती हैं एकटक ऐसे मुझे नज़रे रक़ीब
सोचते हैं मैं भी उनसा बदगुमाँ हो जाऊँगा

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2015 at 9:51am

इस ज़मीं के ख़ुल्द हो जाने की चर्चा आम है
ये न समझे कोई मैं भी हमज़बाँ हो जाऊँगा

देखती हैं एकटक ऐसे मुझे नज़रे रक़ीब
सोचते हैं मैं भी उनसा बदगुमाँ हो जाऊँगा  --  आ. शिज्जु भाई पूरी गज़ल बहुत लाजवाब कही है , दिली मुबारक बाद कुबूल करें ॥

देखती हैं एकटक ऐसे मुझे नज़रे रक़ीब
सोचते हैं मैं भी उनसा बदगुमाँ हो जाऊँगा   ---  उला मे कर्ता चूँकि नज़रे हैं , इस लिये सानी मे शायद सोचतीं हैं कहना सही होगा , सोच लीजियेगा , मै कंफर्म नहीं कह पा रहा हूँ ।

Comment by MAHIMA SHREE on August 24, 2015 at 9:18pm

वाह बहुत ही सुन्दर  लाजबाव ....गजल ....बहुत बहुत बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 24, 2015 at 6:27pm
आदरणीय डॉ आशुतोष सर मुआफ़ी चाहूँगा, आपका शुक्रिया जो आपने मेरी ग़ज़ल को समय दिया
शब्दों के अर्थ इस प्रकार हैं
आबे रवाँ: बहता पानी, जाविदाँ: अमर, नातवाँ:कमज़ोर, बे-अमाँ: असुरक्षित, खिलाफ़त: प्रतिनिधित्व,
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 24, 2015 at 5:42pm

आदरणीय शिज्जू जी बहुत दिनों बाद अपनी रचना तक पहुंचा ..आज कल समयाभाव के कारन इस मंच पर ज्यादा समय नहीं दे पा रहा हूँ ..एक निवेदन   कर रहा हूँ ..आज आपने उर्दू के ऐसे बहुत से शब्द प्र्योग किये हैं उनका अर्थ भी हमेशा की तरह आप लिख देते तो समजने में आसानी होती ..इस बार आपकी रचना के रसास्वादन से मैं खुद को वंचित महसूस कर रहा हूँ ..आप मेरी बात को अन्यथा मत लीजियेगा ..आपकी प्रतिक्रिया मुझे अपनी रचना पर इंतज़ार रहता है और इस मार्गदर्शन से भी मैं एक मुद्दत से वंचित हूँ ..रचना पर हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 23, 2015 at 9:15pm

रचना की सराहना के लिए आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by kanta roy on August 22, 2015 at 6:39pm
वाह !!!!बहुत खूब गजल हुई है आदरणीय शिज्जू शकूर जी । बधाई कबूल हो ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 22, 2015 at 5:08pm

आदरणीय शिज्जु भाई जी, शानदार ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद और मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2015 at 4:19pm

अ० शिज्जू जी

बहुत बढ़िया गजल हुयी है . जय हो .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
11 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
12 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
14 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
23 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service