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नसीब को जो कभी न रोया, उसी को किस्मत फली-फली है |
जो काम आये तुरंत कर लो, गलीज़ आदत टला-टली है |
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कुछ इस तरह से मुहब्बतों के तमाम किस्से अब आम होते |
जरा - सी सरगोशियाँ हुई फिर हजार बातें चली-चली हैं |
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ज़हीर देखे, जहान देखा, पयाम समझे, बयान है ये- |
जफ़ा का आलम बुरा-बुरा है, वफ़ा की दुनिया भली-भली है |
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तमाम आजादियों के परचम, गुजर गए फिर समझ ये आया |
किसी का जूता हमारे सर पे, हमारी दुनिया तली-तली है |
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जरा ये सोचों कि यार मेरा भी किस कदर का हसीन होगा |
किसी को मेरी खबर नहीं है, उसी का चर्चा गली-गली है |
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कयाम कैसा, दयार किसका, मकां न कोई, मकीं न कोई |
कहाँ ठिकाना हमें मिलेगा, नसीब अपना कबायली है |
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कोई भी आये, कोई भी देखें. पसंद या ना-पसंद कह दे |
अजीब सी इन रिवायतों में हरेक बेटी छली-छली है |
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जमीन किसकी, जहान कैसा, नसीब किसका, निजाम कैसा ? |
फसल में गेहूं उगाया जिसने, उसी की रोटी जली-जली है |
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कबीर के है भजन दिलों में, ग़ज़ल रगों में है राबिया की |
नयन में कान्हा बसे हुए है, लबों पे मेरे अली-अली है |
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Comment
आदरणीय दिनेश भाई जी आपका मुखर अनुमोदन मुझे सदैव उत्साहित करता है. ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार आपका.
आदरणीया कांता जी, ग़ज़ल आपको पसंद आई जानकार मुग्ध हूँ. आपका मुखर अनुमोदन पाकर झूम गया हूँ ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार आपका.
आदरणीय सौरभ सर, आपकी उपस्थिति से ही मेरा मान बढ़ जाता है. आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया पाकर धन्य हुआ और //अंत तक आते-आते कई शेर संग्रहणीय हो गये हैं// जैसा मुखर अनुमोदन पाकर मुग्ध हूँ.
इस बह्र पर कुछ कहते हुए अमीर खुसरो को हमेशा महसूस किया है.
इस मार्गदर्शन के लिए आपका हार्दिक आभार. नमन
आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, ग़ज़ल आपको पसंद आई, जानकार आश्वस्त हुआ हूँ. ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार आपका.
आदरणीय नरेन्द्र जी सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार आपका.
आदरणीय हर्ष जी ग़ज़ल पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सादर
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