For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत

------------x----------------

 

तुलसी के बिरवे ने तेरी 
याद दिलाई है
सर्दी नहीं लगी थी फिर भी
खांसी आई है
खड़े खड़े सब देख रहा है
मन भौंचक्के
अक्स ज़ेहन से चुरा ले गए 
ख़्वाब उचक्के 
शोर मचाती भाग रही
कोरी तनहाई है
बंद हुआ कमरे में दिन
सिटकिनी लगा के 
आदत से मज़बूर छुप गई 
रात लजा के 
चन्दा सूरज ने इनको 
आवाज़ लगाईं है
घर का कोना कोना अब तक
बिखरा बिखरा है
गलियों में भी एक अदद 
सन्नाटा पसरा है
लगता अभी अभी लौटा 
कोई दंगाई है
कितने तीर निशाने पर से 
चूक गए
अरमानों के पिंजरे सारे
टूट गए
पीर वही समझेगा जिसकी 
फटी बिवाई है
चाँद पार करने पर एक
नगर बसता है
बेशक लंबा जाने का  
उस तक रस्ता है
चलो चलें हम वहीँ अगर
ये जग बलवाई है

 

Views: 611

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दुष्यंत सेवक on April 15, 2011 at 4:54pm
अरे राणा जी वैसे तो बड़े दिनों में obo पर आना यूँ ही एक सुखद अनुभव होता है लेकिन इस बार तो अंतस तक इतना प्रभावित हुआ हूँ की यह लॉग इन अविस्मरणीय अनुभव बन गया है....बेहद ही खूबसूरत लफ़्ज़ों मे एक शानदार गीत पढ़ने को मिला. बधाई स्वीकारें.
Comment by Lata R.Ojha on April 14, 2011 at 9:39pm
Bahut hi sundar rachna hai Rana ji :) badhai:)
Comment by Abhinav Arun on April 14, 2011 at 9:23pm

वाह सुन्दर और सहज रचना ..मन और घर के संजोग की कविता ! साधुवाद राणा जी !!!

चाँद पार करने पर एक
नगर बसता है
बेशक लंबा जाने का  
उस तक रस्ता है
चलो चलें हम वहीँ अगर
ये जग बलवाई है
बहुत बढियां पंक्तियाँ !!
Comment by आशीष यादव on April 14, 2011 at 2:22pm

ek behatarin rachna ke liye badhai sir,

घर का कोना कोना अब तक
बिखरा बिखरा है
गलियों में भी एक अदद 
सन्नाटा पसरा है
लगता अभी अभी लौटा 
कोई दंगाई है
ye panktiya to behatarin hai.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 14, 2011 at 10:17am
बागी भैया
पसंद करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया|

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 14, 2011 at 10:12am
विवेक भाई
बस आप लोगो कि मोहब्बत है जो कुछ टूटा फूटा परोस देता हूँ| बहुत बहुत शुक्रिया|

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 14, 2011 at 10:11am
राजीव जी
आपको रचना पसंद आई ..बहुत बहुत आभारी हूँ आपका|

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 14, 2011 at 10:10am
आदरणीय सौरभ सर
आपका आशीर्वाद मिला ..गीतकारी सफल हुई लगती है|

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2011 at 10:04am
राणा भाई बहुत दिनों बाद आपकी कोई पोस्ट ब्लॉग सेक्सन के अंतर्गत आई है, पर वाकई इन्तजार का फल मीठा है , क्या बेहतरीन गीत आपने पोस्ट किया है, बहुत ही सुंदर भाव है और साथ ही प्रवाह इतना बढ़िया कि बस गाते जाओ, मुखड़ा बेहद खुबसूरत बन पड़ा है, बहुत बहुत बधाई राणा जी इस शानदार रचना हेतु ,
Comment by विवेक मिश्र on April 14, 2011 at 12:41am
कितना इंतज़ार करवाया राणा भाई आपने. और जब कदम रखा तो एकदम से दिल की गहराइयों तक उतरते ही चले गए. बेहद खूबसूरत ख़याल और उससे भी खूबसूरत उसकी अदायगी. मेरे पास तो लफ्ज़ ही नहीं हैं. 'वाह' के अलावा क्या कह सकते हैं..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सर जी विषयांतर्गत नारी विमर्श की बहुत ही मार्मिक बढ़िया सृजन बढ़िया आग़ाज़ और…"
8 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"लघुकथा : युद्ध दिल को देखो चेहरा न देखो,चेहरों ने लाखों को लूटा,दिल सच्चा और चेहरा झूठा... हाँ, यही…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"स्वागतम"
yesterday
Chetan Prakash posted a blog post

एक ताज़ा ग़ज़ल

2122 1122 1122 22ख़्वाब से जाग उठे शाह सदा दी जाए पकड़े जायें अभी क़ातिल वो सज़ा दी जाएबख़्श दी जाए…See More
Monday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
Saturday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-161 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"नाहक जी, अपने अंदर विनम्रता लाएँ और उस्तादों का आदर करना सीखें। इस्लाह से संबंधित कोई शंका हो तो…"
Saturday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी नमस्कार। बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय नीलेश जी आदाब। बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए बधाई स्वीकार करें। "
Saturday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय Devesh Kumar जी नमस्कार। ओबीओ के मंच पर आपका स्वागत है। अच्छी ग़ज़ल कही है आपने। बधाई…"
Saturday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई"
Saturday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service