For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने अपने हिस्से की हम लोग किस्मत ले गये- ग़ज़ल

2122 2122 2122 212
जब लिया इक दूसरे से हमने रुख़सत ले गये
अपने अपने हिस्से की हम लोग किस्मत ले गये

निस्बतों की अहमियत जो जानते थे लोग वो
याद अपनी दे गये हमसे मुहब्बत ले गये

ताक़ पर रिश्तों को रख जज़्बात बेच आये कहीं
आज तन्हा रह गये जो सिर्फ़ दौलत ले गये

अपनी वो मस्रूफ़ियत से एक लम्हा छोड़कर
पास बैठे दो घड़ी क्या मेरी फुरसत ले गये

वो हसद का एक शो’ला मेरे दिलमें डालकर
काम अपना कर दिया मेरी वजाहत ले गये

रोककर राहें, मुहब्बत का मुझे दे वास्ता
कुछ न उनसे हो सका तो मेरी हसरत ले गये

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 723

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 29, 2015 at 3:01pm

आदरणीय शिज्जू जी इस सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 28, 2015 at 11:23pm
बहुत ही सुन्दर गजल कही है आदरणीय बधाइयाँ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 28, 2015 at 10:43am

ताक़ पर रिश्तों को रख जज़्बात बेच आये कहीं
आज तन्हा रह गये जो सिर्फ़ दौलत ले गये

रोककर राहें, मुहब्बत का मुझे दे वास्ता
कुछ न उनसे हो सका तो मेरी हसरत ले गये  --  बहुत खूब गज़ल हुई है , आदरणीय शिज्जु भाई , दिली मुबारक बाद आपको । ये दोनो शे र खूब पसन्द आये , हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 28, 2015 at 7:39am
आदरणीय गुमनाम जी, श्याम नारायणजी एवं जयनित जी आपका तहेदिल से शुक्रिया
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 26, 2015 at 8:06pm
रोककर राहें, मुहब्बत का मुझे दे वास्ता
कुछ न उनसे हो सका तो मेरी हसरत ले गये

अच्छी ग़ज़ल; के लिए अभिवादन
Comment by Shyam Narain Verma on September 26, 2015 at 12:08pm
वाह बेहतरीन ग़ज़ल .. बहुत बधाई..
Comment by gumnaam pithoragarhi on September 25, 2015 at 1:06pm


अपने अपने हिस्से की हम लोग किस्मत ले गये

निस्बतों की अहमियत जो जानते थे लोग वो
याद अपनी दे गये हमसे मुहब्बत ले गये

वाह खूब वाह ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 24, 2015 at 11:10pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर आपका शुक्रिया। आदरणीय मिथिलेशजी ने इस बारे में कहा था सो मैंने स्पष्ट करने की कोशिश की है ज़रा देख लीजियेगा।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 24, 2015 at 11:07pm
आदरणीय जयनित जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 24, 2015 at 11:07pm
आदरणीय मनोज जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service