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आदरणीय शिज्जू जी इस सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सादर
ताक़ पर रिश्तों को रख जज़्बात बेच आये कहीं
आज तन्हा रह गये जो सिर्फ़ दौलत ले गये
रोककर राहें, मुहब्बत का मुझे दे वास्ता
कुछ न उनसे हो सका तो मेरी हसरत ले गये -- बहुत खूब गज़ल हुई है , आदरणीय शिज्जु भाई , दिली मुबारक बाद आपको । ये दोनो शे र खूब पसन्द आये , हार्दिक बधाइयाँ ।
वाह बेहतरीन ग़ज़ल .. बहुत बधाई.. |
अपने अपने हिस्से की हम लोग किस्मत ले गये
निस्बतों की अहमियत जो जानते थे लोग वो
याद अपनी दे गये हमसे मुहब्बत ले गये
वाह खूब वाह ...
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