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अपने अपने हिस्से की हम लोग किस्मत ले गये- ग़ज़ल

2122 2122 2122 212
जब लिया इक दूसरे से हमने रुख़सत ले गये
अपने अपने हिस्से की हम लोग किस्मत ले गये

निस्बतों की अहमियत जो जानते थे लोग वो
याद अपनी दे गये हमसे मुहब्बत ले गये

ताक़ पर रिश्तों को रख जज़्बात बेच आये कहीं
आज तन्हा रह गये जो सिर्फ़ दौलत ले गये

अपनी वो मस्रूफ़ियत से एक लम्हा छोड़कर
पास बैठे दो घड़ी क्या मेरी फुरसत ले गये

वो हसद का एक शो’ला मेरे दिलमें डालकर
काम अपना कर दिया मेरी वजाहत ले गये

रोककर राहें, मुहब्बत का मुझे दे वास्ता
कुछ न उनसे हो सका तो मेरी हसरत ले गये

-मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 29, 2015 at 3:01pm

आदरणीय शिज्जू जी इस सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 28, 2015 at 11:23pm
बहुत ही सुन्दर गजल कही है आदरणीय बधाइयाँ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 28, 2015 at 10:43am

ताक़ पर रिश्तों को रख जज़्बात बेच आये कहीं
आज तन्हा रह गये जो सिर्फ़ दौलत ले गये

रोककर राहें, मुहब्बत का मुझे दे वास्ता
कुछ न उनसे हो सका तो मेरी हसरत ले गये  --  बहुत खूब गज़ल हुई है , आदरणीय शिज्जु भाई , दिली मुबारक बाद आपको । ये दोनो शे र खूब पसन्द आये , हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 28, 2015 at 7:39am
आदरणीय गुमनाम जी, श्याम नारायणजी एवं जयनित जी आपका तहेदिल से शुक्रिया
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 26, 2015 at 8:06pm
रोककर राहें, मुहब्बत का मुझे दे वास्ता
कुछ न उनसे हो सका तो मेरी हसरत ले गये

अच्छी ग़ज़ल; के लिए अभिवादन
Comment by Shyam Narain Verma on September 26, 2015 at 12:08pm
वाह बेहतरीन ग़ज़ल .. बहुत बधाई..
Comment by gumnaam pithoragarhi on September 25, 2015 at 1:06pm


अपने अपने हिस्से की हम लोग किस्मत ले गये

निस्बतों की अहमियत जो जानते थे लोग वो
याद अपनी दे गये हमसे मुहब्बत ले गये

वाह खूब वाह ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 24, 2015 at 11:10pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर आपका शुक्रिया। आदरणीय मिथिलेशजी ने इस बारे में कहा था सो मैंने स्पष्ट करने की कोशिश की है ज़रा देख लीजियेगा।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 24, 2015 at 11:07pm
आदरणीय जयनित जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 24, 2015 at 11:07pm
आदरणीय मनोज जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

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