For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2212 122 2212 122

क्या आदतों से अपनी, मज़बूर हो गयी हो।
आँखों से मेरी काहें, तुम दूर हो गयी हो।।

सपनों में उनसे मिलता, कुछ हाल चाल कहता।
लेकिन बहुत बुरी हो, मग़रूर हो गयी हो।।

आती नहीं कभी भी, मिलने तू हमसे निदिया।।
यूँ छोड़ कर हमें तुम, मफ़रूर हो गयी हो।।

जगता रहा हूँ कब से, बीती हैं कितनी रातें।
पंकज से दुश्मनी कर, मशहूर हो गयी हो।।

तुझमें मेरे सनम में, कुछ साम्य लग रहा है।
सच सच बता रहा हूँ, कस्तूर हो गयी हो।।


मौलिक अप्रकाशित

Views: 488

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 10, 2015 at 11:21am
आदरणीय रामअवध सर;सादर अभिवादन

बह्र जो आपने बताई है, वही है। मैंने इसका उल्लेख नीचे कमेंट बॉक्स में लिख दिया है।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 10, 2015 at 11:19am
सादर प्रणाम् सतविंदर सर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 10, 2015 at 11:08am
बहुत अच्छी लगी आपकी ये ग़ज़ल।मुबारकबाद
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 8, 2015 at 2:12pm
आदरणीय मिश्रा जी बहर मफऊल फाइलातुन, मफऊल फाइलातुन २२१ २१२२ २२१ २१२२ पर आधारित बेहतरीन गजल के लिये बधाई
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 7, 2015 at 11:18pm
आपकी मुबारकवाद का अमृत मिलते ही मन पुनः प्रसन्न हुआ; सादर अभिवादन आदरणीय समर कबीर सर
Comment by Samar kabeer on October 7, 2015 at 11:16pm
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी,आदाब,ग़ज़ल में इतनी स्पष्ट वादिता ,वाह बहुत ख़ूब,अच्छी ग़ज़ल कही है आपने,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 7, 2015 at 3:23pm
आदरणीय कान्ता रॉय मैम रचना पर आशीष के लिये सादर धन्यवाद।
Comment by kanta roy on October 7, 2015 at 12:50pm

तुझमें मेरे सनम में, कुछ साम्य लग रहा है।
सच सच बता रहा हूँ, कस्तूर हो गयी हो।...............वाह !!! क्या खूब लिखा है आपने। ये मिजाज भी लिखने का अच्छा है। बधाई आपको इस रचना के लिए आदरणीय पंकज जी

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 7, 2015 at 9:42am
इस ग़ज़ल को निम्नलिखित बह्र पर पढ़ा जाये-

मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन
221 2122 221 2122

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service