"चाचू, अपने पास तो ट्रैक्टर है फ़िर अपने खेत में ये बुधिया,उसकी घरवाली और छोकरी, बिना बैल के इस तरह हल क्यों चला रहे हैं"!
"मुन्ना बाबू,इनको बडे दादू ने सज़ा दी है"!
"सज़ा किस बात की"!
"इन लोगों ने हमारे ट्यूबवैल के पानी की नाली में हाथ मुंह धोया और पानी पिया, तो पानी अशुद्ध हो गया"!
"वह पानी तो खेत में जा रहा था ना"!
"ये नीच जाति के लोग हैं, यह सब मना है इनके लिये, ये हमारी कोई चीज़ को नहीं छू सकते"!
“पर चाचू ये दौनों औरतें तो पहले हमारे घर के सारे काम करती थीं"!
"हां, पर वह तो हम खुद अपनी मर्ज़ी से कराते थे ना"!
" चाचू, उन लोगों को तो भगवान ने नीच कौम में ज़न्म दे कर नीच बनाया!इसमें इनका कोई कसूर नहीं है!मगर हम तो उच्च कुल में ज़न्म लेकर भी नीच कार्य कर रहे हैं तो असल में नीच कौन हुआ”!
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मौलिक व अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी!
आदरणीय तेजवीर जी बाल मुख से पंचलाइन प्रभावकारी लगी इस लघुकथा पर हार्दिक बधाई आपको
बहुत ही मार्मिक लघुकथा हुई है आदरणीय तेजवीर जी। बधाई
हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी!
बहुत अच्छी लघु कथा ,बच्चे का मन कोरी स्लेट होता है उस पर जो हम लोग लिखते हैं वही उसका आगे चलकर चरित्र निर्माण करता है
बहुत बहुत बधाई आपको
हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश जी!
आदरणीय TEJ VEER SINGH जी पुराने कथानक पर सुंदर व सुगठित लघुकथा के लिए मेरी बधाई स्वीकार करे.
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