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नीच कौन – ( लघुकथा )

"चाचू, अपने पास तो ट्रैक्टर है फ़िर अपने खेत में ये बुधिया,उसकी घरवाली और छोकरी, बिना बैल के इस तरह हल क्यों चला रहे हैं"!

"मुन्ना बाबू,इनको बडे दादू ने सज़ा दी है"!

"सज़ा किस बात की"!

"इन लोगों ने हमारे ट्यूबवैल के पानी की नाली में हाथ मुंह धोया और पानी पिया, तो पानी अशुद्ध हो गया"!

"वह पानी तो खेत में जा रहा था ना"!

"ये नीच जाति के लोग हैं, यह सब मना है इनके लिये, ये हमारी कोई चीज़ को नहीं छू  सकते"!

“पर चाचू ये दौनों औरतें तो पहले हमारे घर के सारे काम करती थीं"!

"हां, पर वह तो हम खुद अपनी मर्ज़ी से कराते थे ना"!

" चाचू, उन लोगों को तो भगवान ने नीच कौम में ज़न्म दे कर नीच बनाया!इसमें इनका कोई कसूर नहीं है!मगर हम तो उच्च कुल में ज़न्म लेकर भी नीच कार्य कर रहे हैं तो असल में नीच कौन हुआ”!

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मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on November 4, 2015 at 5:29pm

हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी!


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Comment by मिथिलेश वामनकर on October 28, 2015 at 1:32pm

आदरणीय तेजवीर जी बाल मुख से पंचलाइन प्रभावकारी लगी इस लघुकथा पर हार्दिक बधाई आपको 

Comment by kanta roy on October 26, 2015 at 6:02pm

बहुत ही मार्मिक लघुकथा हुई है आदरणीय तेजवीर जी। बधाई 

Comment by Nita Kasar on October 26, 2015 at 12:34pm
बच्चे कॉमन की जिज्ञासा का जवाब चाचू के पास तो है नहीं नन्है बच्चे ने उन्है निरूत्तर कर दिया ऊँच नीच की सुंदर व्याख्या करती सारगर्भित कथा के बधाई आद०तेजवीर भाई जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 25, 2015 at 1:31pm

हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2015 at 1:26pm

बहुत  अच्छी लघु कथा ,बच्चे का मन कोरी स्लेट होता है उस पर जो हम लोग लिखते हैं वही उसका आगे चलकर चरित्र निर्माण करता है 

बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 25, 2015 at 10:35am

हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश जी!

Comment by Omprakash Kshatriya on October 25, 2015 at 7:33am

आदरणीय  TEJ VEER SINGH जी पुराने कथानक पर  सुंदर व सुगठित लघुकथा के लिए मेरी बधाई स्वीकार करे.

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