For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारतीय स्त्री और आभूषण

नवरात्र के दिनों में सामने वाले घर में रहने वाली अधेड़ आयु की स्त्री के हाथों में लाल कांच की चूड़ी देखकर बिल्डिंग में रहने वाली सभी महिलाये चौंक गई, " ओह, तो इसका मतलब इनके पति हैं"! वह महिला अपने दो युवा बच्चों के साथ इस फ्लैट में रहने नई नई आई थी! प्रायः वह महिला कोई साज श्रृंगार नहीं करती थी जिससे सभी ने मन ही मन ये विचार बना लिया था वह शायद विधवा हैं लेकिन नवरात्र की पूजा के दिनों में साज श्रृंगार से पूर्ण उस महिला को देखकर अन्य महिलाओं के मन में खलबली मच गयी! आखिर पूछ ही लिया "आपके पति.......?"  उन्होंने धीमे से मुस्कुराते हुए कहा" हैं, पर विदेश में ही बस गए हैं लेकिन हमारा तलाक नहीं हुआ हैं! अब देवी पूजा में सुहागन होते हुए एक सुहागन की तरह ही पूजा करती हूँ!" 

उत्तराखंड में नाक में पहने जाने वाली लोंग सुहाग का प्रतीक मानी जाती है! वहां एक बूढी नानी देखी थी जिनकी नाक में सोने की बड़ी सी, लाल रंग का नग लिए लोंग चमचमाती रहती थी! उनके पति का शहर में बीस बरस से कोई पता नहीं था! लेकिन उनके जीवित होने की आस में उन्होंने अपने उस सुहाग के प्रतीक को नहीं निकाला था! एक दिन उन्हें पता चला उनके पति की तो कब की मृत्यु हो गयी ! यह सुनकर सबसे पहले उन अस्सी वर्षीय बूढी नानी ने अपनी नाक की लोंग निकाल दी तथा अपने बच्चों से कहा जब वह मरे तो ये लोंग उनके मुँह में डाल दे! ये वास्तविक जीवन के उदाहरण हैं! अगर आप लोगो ने शर्मीला टैगोर राजेश खन्ना द्वारा अभिनीत फिल्म 'अमर प्रेम' देखी होगी तो फिल्म के अंत में एक दृश्य हैं जिसमे शर्मीला टैगोर अपने पति की मृत्यु के पश्चात अपनी शंख की चूड़ियाँ तोड़कर गंगा में डाल देती हैं! वह पति जो कब का छोड़ चुका होता है तथा परित्यक्ता होने के बाद वह वेश्या बन जाती हैं! सोलह श्रृंगार के उपरान्त भी वह अपनी शंख की चूड़ियाँ जोकि बंगाली समाज में सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं, हाथों से नहीं निकालती हैं!

वास्तविक हो या फ़िल्मी इन उदाहरणों में कही भी इन स्त्रियों पर ये जेवर पहनने की मजबूरी  थोपी नहीं गयी! वह चाहती तो जिस पति ने उन्हें छोड़ दिया उसके प्रतीक इन निशानियों को वो हटा सकती थे! यह स्त्री की समर्पण,श्रद्धा, अदृश्य प्रेम की भावना ही हैं जिसने हमारे समाज के पारिवारिक ढांचे को मजबूत बनाया हैं तभी भारत में स्त्री शक्ति की पूजा होती हैं! गहने, आभूषण स्त्री के सौंदर्य को बढ़ाते हैं लेकिन भारतीय समाज में आभूषण एक स्त्री के लिए अलग ही महत्व रखते हैं! पुरुष बलशाली हैं, मुक्त हैं मगर उसका अस्तिव स्त्री पर ही टिका हुआ हैं! ये  उद्धरण बताते हैं ये सुहाग चिन्ह, गहने बेड़िया  नहीं हैं बल्कि पुरुष के जीवित होने का प्रमाण हैं!

मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 575

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 30, 2015 at 4:55pm

दिल को छू वाली इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Rajni Gosain on October 30, 2015 at 8:37am

लेख को  गहनता से पढ़ने तथा उत्साहित करती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आदरणीय कांता रॉय जी!

Comment by kanta roy on October 29, 2015 at 2:31pm

" ये सुहाग चिन्ह, गहने बेड़िया नहीं हैं बल्कि पुरुष के जीवित होने का प्रमाण हैं! " ---वाह !!!! गज़ब !
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है ये।
भारतीय समाज में जेवर स्नेह और समर्पण का प्रतिक है जिससे लोग आतंरिक श्रद्दा के और समर्पण के वशीभूत होकर ही धारण करते है।
वन्दनीय प्रस्तुति हुई है आपकी यह आदरणीया रजनी जी।
हृदयतल से बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service