For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आइये महानुभाव!
बेख़ौफ़ आईये
मत घबराईये।।

ये गरीबखाना है
यहाँ सबका आना जाना है।

ये जो झीलंगहिया खटिया है न?
दर्द से चुर्र चुर्र ज़रूर कराहती है
पर यह सबके भार उठाती है।।

खैर!
आप मचिया पर बैठिये
किन्तु थोड़ा ठहरिये
इसे साफ़ कर देता हूँ
आपके लायक कर देता हूँ।

आपके श्वेतावरण का ध्यान है मुझे;
दाग अंदर हों, कोई बात नहीं
लेकिन
कपड़ों पर अच्छे नहीं लगते
ज्ञात है मुझे।।

बोलिये श्रीमान्
शर्म संकोच त्याग कर बोलिये।

ये गरीब की कुटिया है
यहाँ सबकी दाल गलती है,
क्योंकि;
यहाँ चूल्हे की जगह
"आग पेट में जलती है"
================
मौलिक एवम् अप्रकाशित
================

Views: 661

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 12, 2015 at 3:35pm
आदरणीय विजय सर सादर प्रणाम्
Comment by vijay nikore on November 12, 2015 at 3:30pm

अच्छा व्यंग्य है, रचना अच्छी है। बधाई।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 11, 2015 at 10:55pm
आदरणीय मिथिलेश सर रचना की तारीफ के लिए सादर अभिवादन

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 10, 2015 at 1:30pm

आदरणीय पंकज भाई जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है. हार्दिक बधाई 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 9, 2015 at 6:56pm
आदरणीय इंद्र विद्या जी सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 9, 2015 at 6:55pm
सादर आभार आदरणीय राहिला जी।
Comment by indravidyavachaspatitiwari on November 9, 2015 at 4:14pm

   पेट में आग जलती है इसी कारण तो कुटिया में रहते हैं! ऐसा क्यों है़?
इसलिए आपको सहस्रशः बधाई।

Comment by Rahila on November 9, 2015 at 4:02pm
बहुत खूबसूरत रचना आदरणीय पंकज जी! बहुत बधाई आपको इस बेहतरीन व्यंग्य के लिये । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
13 minutes ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
12 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service