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आदरनीय महर्षि भाई ,गज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ।
प्रिअय अनुज जान जोरखपुरी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।
आदरणीय रवि भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ।
आदरणीया राहिला जी , गज़ल की प्रशंसा कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार ।
इस् खुबसूरत गजल पर दाद कुबुलें आ. सर |
आदरणीय गिरिराज जी बहुत ही सुन्दर गैर मुरद्दफ ग़ज़ल कही है आपने हर शेर पर बधाई कुबूल करें
दोस्त हैं हम आपके, इतना तो हक़ होगा हमें
दर्द अपना, आपको दे, कह सकें, सह लीजिये ये शेर हमें बहुत पसंद आया । दिली मुबारक बाद कुबूल करें । सादर
आपको इनकार यूँ , शोभा नहीं देता ज़नाब --
आदरणीय पाठकों से प्रार्थना है कि , इस मिसरे मे आया शब्द -- शोभा स्त्री लिंग शब्द होने के कारण उसे
इस तरह पढ़ने की कृपा करें --
आपको इनकार यूँ , शोभा नहीं देती ज़नाब
सादर
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