For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -बच गये तो शेर, वर्ना कागज़ी थे, सोचिये - ( गिरिराज भंडारी )

2122 2122 2122 212
छोड़िये पानी में उनको तज़्रिबा तो कीजिये
बच गये तो शेर, वर्ना कागज़ी थे, सोचिये

दोस्त हैं हम आपके, इतना तो हक़ होगा हमें
दर्द अपना, आपको दे, कह सकें, सह लीजिये

हम भरोसा किस तरह कर लें, बतायें हाल पर
जब्र से इतिहास उनका है भरा, पढ़ लीजिये

जिनकी है बारूद चाहत वो ज़मीं को देंगे क्या ?
खूँ बहुत है मुल्क़ में तो आप वो ही सींचिये

आपको इनकार यूँ , शोभा नहीं देता ज़नाब
ज़ह्र तो पीते रहें हैं , और थोड़ा पीजिये

आपको ये घर मेरा चुभने लगा है, दोस्त फिर
शह्र है काफी बड़ा , चाहे जहाँ रह लीजिये

आपके दिल के बहुत नजदीक हैं, ये क़त्ले आम
आप, अपने मुल्क़ में मातम जरा अब देखिये
*********************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 558

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2015 at 7:35am

आदरनीय महर्षि भाई ,गज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2015 at 7:34am

प्रिअय अनुज जान जोरखपुरी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2015 at 7:34am

आदरणीय रवि भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2015 at 7:32am

आदरणीया राहिला जी , गज़ल की प्रशंसा कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by maharshi tripathi on November 19, 2015 at 4:56pm

इस् खुबसूरत गजल पर दाद कुबुलें आ. सर |

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on November 19, 2015 at 2:28pm
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हुयी है आ. गिरिराज सर बधाई।
Comment by Ravi Shukla on November 19, 2015 at 1:57pm

आदरणीय गिरिराज जी बहुत ही सुन्‍दर गैर मुरद्दफ ग़ज़ल कही है आपने हर शेर पर बधाई कुबूल करें


दोस्त हैं हम आपके, इतना तो हक़ होगा हमें
दर्द अपना, आपको दे, कह सकें, सह लीजिये ये शेर हमें बहुत पसंद आया । दिली मुबारक बाद कुबूल करें । सादर

Comment by Rahila on November 19, 2015 at 11:50am
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल आदरणीय गिरिराज सर जी! एक -एक शेर बहुत शानदार लगा । बहुत बधाई । सादर प्रणाम ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 19, 2015 at 11:10am

आपको इनकार यूँ , शोभा नहीं देता ज़नाब --

आदरणीय पाठकों से प्रार्थना है कि , इस मिसरे मे आया शब्द -- शोभा स्त्री लिंग शब्द होने के कारण  उसे   

 इस तरह पढ़ने की कृपा करें  --  
आपको इनकार यूँ , शोभा नहीं देती ज़नाब  
                                                           सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार बहुत खेद है पहली बार ये गलती हुई मुझसे सादर एक कोशिश की है__ सादर चोट पहले…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सुधार और बेहतरी की पुनः कोशिश करूंगी सादर"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छे मतले के साथ ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुनीजनों की टिप्पणी…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। सुझाव के बाद अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में गिरह का शेर रह गया। "
10 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई। "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service