For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हो शुरू जंगे- मुस्तहब कोई- शिज्जु शकूर

2122 1212 112/22
हो शुरू जंगे-मुस्तहब कोई
लाये इक इन्किलाब अब कोई

यूँ अदब के बदल गये मा’ने
होता है रोज़ बे-अदब कोई

आज ग़ारतगरों के कहने पर
शह्र फूँके है बे-सबब कोई

लफ़्ज़ तेरे, तेरा तवाफ़ करें
सीख-ले बोलने का ढब कोई

आग फिरका-परस्ती की ऐ दोस्त
और भड़के बुझाये जब कोई

जब उलझ जाये बात बातों में
इक सिरा ढूँढ लेना तब कोई

सूरते-हाल पूछिये न ‘शकूर’
रोज़ नाज़िल हो इक ग़ज़ब कोई

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2015 at 8:26pm
आदरणीय सौरभ सर आपकी उपस्थिति हमेशा उत्साह वर्धक होती है, रचना को मान देने के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2015 at 8:25pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गुमनाम जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2015 at 8:24pm
आदरणीय रवि शुक्लाजी आपका तहेदिल से शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2015 at 8:24pm
रचना की सराहना के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया नादिर भाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2015 at 8:23pm
बहुत बहुत शुक्रिया जान गोरखपुरीजी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2015 at 8:22pm
आदरणीय मिथिलेशजी आपका तहेदिल से शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2015 at 8:22pm
सर्वप्रथम विलम्ब के लिये मुआफ़ी चाहूँगा

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 26, 2015 at 11:33pm

इस बढिया ग़ज़ल के लिए दिल से दाद कह रहा हूँ, शिज्जू भाई. दिल खुश कर दिया आपने !

इन अश’आर पर बार-बार बधाइयाँ लीजिये - 

यूँ अदब के बदल गये मा’ने
होता है रोज़ बे-अदब कोई

आज ग़ारतगरों के कहने पर
शह्र फूँके है बे-सबब कोई

लफ़्ज़ तेरे, तेरा तवाफ़ करें
सीख-ले बोलने का ढब कोई

वाह वाह वाह !!

Comment by gumnaam pithoragarhi on November 26, 2015 at 8:43pm

लफ़्ज़ तेरे, तेरा तवाफ़ करें
सीख-ले बोलने का ढब कोई

वाह खूब .............. बधाई ................

Comment by Ravi Shukla on November 26, 2015 at 1:47pm

आदरणीय शिज्जू  जी कई दिनाे के बाद आज आपकी एक शानदार ग़ज़ल देखने को मिली है . अशआर एक से बढ़कर एक है. शेर दर शेर दाद  कुबूल फरमाएं.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service