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इस बढिया ग़ज़ल के लिए दिल से दाद कह रहा हूँ, शिज्जू भाई. दिल खुश कर दिया आपने !
इन अश’आर पर बार-बार बधाइयाँ लीजिये -
यूँ अदब के बदल गये मा’ने
होता है रोज़ बे-अदब कोई
आज ग़ारतगरों के कहने पर
शह्र फूँके है बे-सबब कोई
लफ़्ज़ तेरे, तेरा तवाफ़ करें
सीख-ले बोलने का ढब कोई
वाह वाह वाह !!
लफ़्ज़ तेरे, तेरा तवाफ़ करें
सीख-ले बोलने का ढब कोई
वाह खूब .............. बधाई ................
आदरणीय शिज्जू जी कई दिनाे के बाद आज आपकी एक शानदार ग़ज़ल देखने को मिली है . अशआर एक से बढ़कर एक है. शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं.
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