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आदरनीय समर भाई , प्रभु की मात्रा 2 होती है , इस लिहाज से पद मे ,
प्रभू की है माया -- 2 मात्रा कम है , अतः आप इसे -- ईश्वर की है माया -- किया जा सकता है ।
नाखून और कानून की तुकांतता सही है , ब स अगर व्यंजन भी लिल जाये तो उस तुकांतता को सबसे अच्छा माना जाता है , लेकिन ये गलत नही है । अगर मिथिलेश भाई जी का इशारा और कुछ है तो वही बता सकते हैं ।
आदरणीय समर भाई , छंद रचना मे आपने बड़ा ही धमाकेदार प्रवेश किया है , सफल प्रथम प्रयास के लिये हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें । आदरणीय मिथिलेश भाई जी बातों का खयाल कीजियेगा ।
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