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लबों पर रख हँसी हरदम अगर को भुलाना है- बैजनाथ शर्मा 'मिंटू'

बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’

 

अरकान – 1222    1222     1222     1222

 

लबों पर रख हँसी हरदम अगर को भुलाना है|

दिखा मत दर्दे-दिल अपना बहुत ज़ालिम ज़माना है|

 

तेरा गम तेरा अपना है न जग समझा न समझेगा,

तू अपने पास रख इसको कि ये तेरा ख़जाना है|

 

नजूमी हाथ की रेखाएं पढ़कर मुझसे यूँ बोला,

पुजारी है तू किस्मत का कि दिल तेरा दिवाना है|

 

कभी मायूस मत होना भले कुटिया में रहना हो,

बचाती धूप से तुझको वो तेरा आशियाना है|

 

हमेशा दोस्ती का दम भरा करता है उसको भी,

मुसीबत और गर्दिश में कभी तो आजमाना है|

 

मौलिक व अप्रकाशित  

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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 24, 2015 at 9:28pm
बढ़िया भाई मिंटू जी जनाब समर साहब का सुझाव पर भी गौर कीजियेगा
Comment by Sushil Sarna on December 24, 2015 at 8:07pm

सुंदर ग़ज़ल   .... वैसे आदरणीय समीर साहिब की टिप्पणी से सहमत। प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on December 24, 2015 at 6:57pm

आदरणीय कबीर साहेब ............... ऊला मिसरे में  "गम"  शब्द लिखना रह गया है|     शुक्रिया आपका 

Comment by Samar kabeer on December 24, 2015 at 5:47pm
जनाब मिंटू जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल कही आपने,मतले का ऊला मिसरा देखलें,बह्र में नहीं है,शे'र नम्बर चार में कुटिया स्त्री लिंग और आशियाना पुल्लीनग है |

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