बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’
अरकान – 1222 1222 1222 1222
लबों पर रख हँसी हरदम अगर को भुलाना है|
दिखा मत दर्दे-दिल अपना बहुत ज़ालिम ज़माना है|
तेरा गम तेरा अपना है न जग समझा न समझेगा,
तू अपने पास रख इसको कि ये तेरा ख़जाना है|
नजूमी हाथ की रेखाएं पढ़कर मुझसे यूँ बोला,
पुजारी है तू किस्मत का कि दिल तेरा दिवाना है|
कभी मायूस मत होना भले कुटिया में रहना हो,
बचाती धूप से तुझको वो तेरा आशियाना है|
हमेशा दोस्ती का दम भरा करता है उसको भी,
मुसीबत और गर्दिश में कभी तो आजमाना है|
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
सुंदर ग़ज़ल .... वैसे आदरणीय समीर साहिब की टिप्पणी से सहमत। प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
आदरणीय कबीर साहेब ............... ऊला मिसरे में "गम" शब्द लिखना रह गया है| शुक्रिया आपका
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