For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाँधी जी का तीसरा बंदर (लघुकथा)

"क्या बात है?" घर पहुँचते ही उसकी माँ ने उसकी आँखों में आँसू और पिता की आँखों में चिंता को देखकर घबरा कर पूछा|

उसके पिता ने बताया, "सेठ जी के बेटे और सामने वाले भाईसाहब की बेटी के बीच कुछ चल रहा था, इसे सब बात पता थी| अब कल किसी बात पर उस लड़की ने आत्महत्या कर ली, तो आज ये पुलिस को सब बातें बताने लगी| वो तो ऐन वक्त पर मैनें भीड़ का फायदा उठा कर इसका मुंह बंद कर दिया नहीं तो....."

"नहीं तो क्या बाबूजी?" उसने पूछा

"किसी के फटे में हम टांग क्यों डालें? तू चुप नहीं रह सकती?" कहते हुए उसके पिता यह देख कर चौंके कि उसने आले में रखे हुए गांधीजी के तीन बंदरों में से एक बंदर को उठा कर घर से बाहर फैंक दिया|

"... अब यह क्या कर रही हो? उसे क्यों फैंका - बुरा मत कहो वाला बंदर?"

"उसकी क्या ज़रूरत है? मैं हूँ ना बाबूजी|"

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 520

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 30, 2015 at 12:06am

बहुत बहुत आभार आदरणीय  नीता कसार जी, आपको लघुकथा का यह प्रयास ठीक लगा और आपने अपनी टिप्पणी द्वारा मेरी हौसला अफजाई की |

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 30, 2015 at 12:05am

रचना को पसंद कर मेरा मनोबल बढाने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी |

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 30, 2015 at 12:04am

हृदय से शुक्रिया आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी |

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 30, 2015 at 12:04am

रचना को पसंद करने और मेरे उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीया  राजेश जी, वास्तव में लोगों की यही मानसिकता है कि दूसरों के फटे में पैर क्यों डालें, ऐसी स्थिति आते ही अधिकतर लोग यूं ही करते हैं|

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 30, 2015 at 12:02am

सही कहा निधि जी, अब एक ऐसा बंदर है जो बुरा सच नहीं कहेगा| आभार आपका |

Comment by Nita Kasar on December 29, 2015 at 1:06pm
सच कड़वा होता है हर कोई पचा लें ज़रूरी नही चश्मदीद और सबूतों के बिना यक़ीन कौन करेगा बेहतर कथा के लिये बधाई आद०चन्द्रेश छतलानी जी ।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 28, 2015 at 8:57pm

बेहतरीन लघु कथा हुई है आदरणीय चंद्रेश कुमार जी!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 28, 2015 at 8:30pm

बेहतरीन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 28, 2015 at 7:27pm

सही कहा निधि जी ने बुरा मत कहो के स्थान पर कुछ न कहो या सच न कहो बंदर रख दीजिये |यही तो लोगों की मानसिकता है की दूसरे  की मुसीबत में क्यों पड़ें |बहुत अच्छी लघु कथा हार्दिक बधाई चंद्रेश कुमार जी 

Comment by निधि जैन on December 28, 2015 at 6:25pm
बुरा मत कहो वाला बंदर की जगह न बोलने वाला बन्दर रख दिया जाएगा

बढ़िया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service