लेखक उसके हर रूप पर मोहित था, इसलिये प्रतिदिन उसका पीछा कर उस पर एक पुस्तक लिख रहा था| आज वो पुस्तक पूरी करने जा रहा था, उसने पहला पन्ना खोला, जिस पर लिखा था, "आज मैनें उसे कछुए के रूप में देखा, वो अपने खोल में घुस कर सो रहा था"
फिर उसने अगला पन्ना खोला, उस पर लिखा था, "आज वो सियार के रूप में था, एक के पीछे एक सभी आँखें बंद कर चिल्ला रहे थे"
और तीसरे पन्ने पर लिखा था, "आज वो ईश्वर था और उसे नींद में लग रहा था कि उसने कल्कि अवतार कर सृजन कर दिया"
अगले पन्ने पर लिखा था, "आज वो एक भेड़ था, उसे रास्ते का ज्ञान नहीं था, उसने आँखें बंद कर रखीं थीं और उसे हांका जा रहा था"
उसके बाद के पन्ने पर लिखा था, "आज वो मीठे पेय की बोतल था, और उसके रक्त को पीने वाला वही था, जिसे वो स्वयं का सृजित अवतार समझता था, उसे भविष्य के स्वप्न में डुबो रखा था"
लेखक से आगे के पन्ने नहीं पढ़े गये, उसके प्रेम ने उसे और पन्ने पलटने से रोक लिया| उसने पहले पन्ने पर सबसे नीचे लिखा - 'अकर्मण्य', दूसरे पर लिखा - 'राजनीतिक नारेबाजी', तीसरे पर - 'चुनावी जीत', चौथे पर - 'शतरंज की मोहरें' और पांचवे पन्ने पर लिखा - 'महंगाई'|
फिर उसने किताब बंद की और उसका शीर्षक लिखा - 'मनुष्य'
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
rचना को पसंद कर टिप्पणी द्वारा मेरे उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय फूल सिंह जी|
rचना को पसंद कर टिप्पणी द्वारा मेरे उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी भाई जी|
अति सुंदर रचना आपको बहुत बहुत बधाई स्वीकार हो
आदरणीय चन्द्रेश भाई , संकेतों मे कही आपकी लघुकथा बहुत सुन्दर लगी , हार्दिक बधाई आपको
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