नई हसरत नई हिम्मत नई परवाज़ देगा कल
मिटाने तीरगी सबकी नया सूरज उगेगा कल
नये सपने उगाये खेत में देखो सियासत ने
फ़लक तक कीमतें पाकर बशर बेबस हँसेगा कल
नये इस दौर में आकर हुआ नेता कलम मेरा
अधूरा छोड़ कर कल का नया वादा लिखेगा कल
किसी भी रोज दफ्तर में किया कुछ भी नहीं जिसने
कसीदे काम के पिछले सुना है वो पढ़ेगा कल
जो पिछले साल सोचे थे हुए पूरे कहाँ उसके
भुलाकर वो पुराने अब नये संकल्प लेगा कल
सदा मिलती उन्हें मंजिल सही जो रास्ता चुनते
नया विश्वास निश्चय से नया साहस भरेगा कल
बुनेंगे हम अगर रिश्ते अदावत की सलाई से
हमारे आज के नक्शे कदम पर फिर चलेगा कल
सबक इतिहास से लेकर सुधारों आज ये अपना
समझ जाओ अगर चाहो जो तुमसे फिर कहेगा कल
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ० मुकेश श्रीवास्तव जी .सर्व प्रथम तो आप नव वर्ष की बधाई लीजिये| दूसरे ग़ज़ल पर अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु आभार ,बहुत बहुत शुक्रिया कुबूलें |
khoobsoorat aur asar daar gazal - badhaee Raaz jee
आ० डॉ० गोपाल जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभार आपका |
आदरणीय दीदी --- आपने आने वाले नव वर्ष की आधारशिला रख दी और क्या ख़ूबसूरती से रखी हर शेर अपनी कहानी खुद सूना रहा है . सादर .
आ० श्याम नारायण जी आपका बहुत- बहुत शुक्रिया.
आ० लक्ष्मण भैया,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरी मेहनत सफल हुई दिल से बहुत बहुत आभार
आ० आशुतोष जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई दिल से बहुत बहुत शुक्रिया एरा लिखना सार्थक हुआ |आप जिस शेर की बात कर रहे हैं वो पूर्णतः स्पष्ट है हमलोग हर साल संकल्प लेते हैं कुछ करने का अगला साल आते आते उसे पूरा तो करना दूर उसे भुलाकर नए लेने शुरू कर देते हैं यहाँ कल अर्थात आने वाले नए वर्ष के कल से मुखातिब हूँ | शायद अब स्पष्ट हो जाएगा सादर .
"क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को " |
किसी भी रोज दफ्तर में किया कुछ भी नहीं जिसने
कसीदे काम के पिछले सुना है वो पढ़ेगा कल
आ० राजेश दी .इस ग़ज़ल ने मन मोह लिया .कोटि कोटि बधाई l
आदरणीया राज जी ..रचना के माध्यम से जहाँ आप आशा की किरण जगाती हैं वही आगाह भी करती हैं
जो पिछले साल सोचे थे हुए पूरे कहाँ उसके
भुलाकर वो पुराने अब नये संकल्प लेगा कल..इस शेर में मैं थोडा उलझा हूँ ..कमी तो कुछ समझ नहीं आ रही है लेकिन कुछ कमी भी लग रही है ..इस सिर्फ मेरे मन में उठा बिचार है अन्यथा न लीजियेगा सादर प्रणाम और नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online