For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कसीदे काम के पिछले सुना है वो पढ़ेगा कल (नव वर्ष पर ग़ज़ल 'राज )

नई हसरत नई हिम्मत नई परवाज़ देगा कल

मिटाने  तीरगी सबकी  नया सूरज उगेगा कल

 

नये सपने उगाये खेत में देखो सियासत ने

फ़लक तक कीमतें पाकर बशर बेबस हँसेगा कल

नये इस दौर में आकर हुआ नेता कलम मेरा

अधूरा छोड़ कर कल का नया वादा लिखेगा कल 

 

किसी भी रोज दफ्तर में किया कुछ भी नहीं जिसने

कसीदे काम के पिछले  सुना है वो पढ़ेगा कल

 

जो पिछले साल सोचे थे हुए पूरे कहाँ उसके  

भुलाकर वो पुराने अब नये संकल्प लेगा कल

 

सदा मिलती उन्हें मंजिल सही जो रास्ता चुनते

नया विश्वास निश्चय से नया साहस भरेगा कल

 

बुनेंगे हम अगर रिश्ते अदावत की सलाई से  

हमारे आज के नक्शे कदम पर फिर चलेगा कल

 

सबक इतिहास से लेकर सुधारों आज ये अपना

समझ जाओ अगर चाहो जो तुमसे फिर कहेगा कल 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 31, 2015 at 11:57am

आ० मुकेश श्रीवास्तव  जी .सर्व प्रथम तो आप नव वर्ष की बधाई लीजिये| दूसरे  ग़ज़ल पर अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु आभार ,बहुत बहुत शुक्रिया कुबूलें |  

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on December 31, 2015 at 11:47am

 khoobsoorat aur asar daar gazal - badhaee Raaz jee


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 30, 2015 at 4:46pm

आ० डॉ० गोपाल जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई  मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभार आपका |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 30, 2015 at 4:24pm

आदरणीय  दीदी --- आपने आने वाले नव वर्ष की आधारशिला रख दी  और क्या ख़ूबसूरती से रखी हर शेर  अपनी कहानी खुद सूना रहा है . सादर . 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 30, 2015 at 2:07pm

आ० श्याम नारायण जी आपका बहुत- बहुत शुक्रिया. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 30, 2015 at 2:06pm

आ० लक्ष्मण भैया,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरी  मेहनत  सफल हुई दिल से बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 30, 2015 at 2:05pm

आ०  आशुतोष जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई दिल से बहुत बहुत शुक्रिया एरा लिखना सार्थक हुआ  |आप जिस शेर की बात कर रहे हैं वो पूर्णतः स्पष्ट है हमलोग हर साल संकल्प लेते हैं कुछ करने का अगला साल आते आते उसे पूरा तो करना दूर उसे भुलाकर नए लेने शुरू कर देते हैं यहाँ कल अर्थात आने वाले नए वर्ष के कल से मुखातिब हूँ | शायद अब स्पष्ट हो जाएगा  सादर .  

Comment by Shyam Narain Verma on December 30, 2015 at 1:06pm
"क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को "
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 30, 2015 at 11:46am

किसी भी रोज दफ्तर में किया कुछ भी नहीं जिसने

कसीदे काम के पिछले  सुना है वो पढ़ेगा कल

आ० राजेश दी .इस ग़ज़ल ने मन मोह लिया .कोटि कोटि बधाई l

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 30, 2015 at 10:31am

आदरणीया राज जी ..रचना के माध्यम से जहाँ आप आशा की किरण जगाती हैं वही आगाह भी करती हैं 

जो पिछले साल सोचे थे हुए पूरे कहाँ उसके  

भुलाकर वो पुराने अब नये संकल्प लेगा कल..इस शेर में मैं थोडा उलझा हूँ ..कमी तो कुछ समझ नहीं आ रही है लेकिन कुछ कमी भी लग रही है ..इस सिर्फ मेरे मन में उठा बिचार है अन्यथा न लीजियेगा सादर प्रणाम और नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
16 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service