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कुल्टा कौन – ( लघुकथा ) –

कुल्टा कौन –  (  लघुकथा  ) –

सीमा जब से ब्याह के आई थी,कभी भी उसकी सासुजी ने सीधे मुंह बात नहीं की!चलो कोई बात नहीं!यह तो सदियों से चली आ रही रिवाज़ का हिस्सा है!पर सीमा को जो बात अखरती थी ,वह थी सासुजी का बार बार उसे “क़ुल्टा” कह कर पुकारना!उसने एक दो बार सासूजी को समझाने का प्रयास भी किया,

"मॉ जी,आप यह शब्द बोलती हो,इसका अर्थ जानती हो,कोई बाहर वाला सुनेगा तो आप के परिवार  की ही बदनामी होगी"!

सासु जी ने फ़लस्वरूप ,सीमा का बाहर जाना भी बंद कर दिया!

सासुजी को अचानक अपने मायके जाना पडा!सासुजी की गैर हाज़िरी में सीमा को  अडोस पडोस से सासु जी के बारे में कुछ चौकाने वाली बातें पता चली!

सासुजी का लौटते ही, सीमा के साथ फ़िर वही व्यबहार शुरू!

"मॉ जी ,मुझे आपसे कुछ पूछना है"!

" अच्छा ,तेरी इतनी हिम्मत,  तू अब मुझसे सवाल जवाब करेगी"!

"मॉ जी, यह आपके ही भले की बात है"!

"ओहो, तू कब से मेरा भला सोचने लगी,भई वाह,चल पूछ"!

"मॉ जी ससुर जी ने आत्म हत्या क्यों की थी"!

इतना सुनते ही सासुजी आपे  से बाहर हो गयीं, अनाप शनाप बकते हुए, सब्जी काटने की छुरी लेकर सीमा के पीछे दौडी!सीमा भी पूरी तैयारी में थी!एक हल्के से झटके में सासुजी चारों खाने चित्त गिर गयीं!चीखने चिल्लाने लगीं!सारा मुहल्ला एकत्र हो गया!

"अम्मा जी,क्या हुआ,क्या हुआ"!

"अरे कुछ ना हुआ, तुम सब लोग जाओ अपने अपने घर, मेरा पैर फ़िसल गया था, ले बेटी सीमा मुझे थोडा सहारा दे"!

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on January 21, 2016 at 2:12pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!

Comment by Nita Kasar on January 20, 2016 at 8:54pm
अन्याय करना गलत है तो सहना भी गलत है।सुंदर सार्थक संदेशप्रेरक कथा के लिये बधाई आद०तेजवीर सिंह जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on January 19, 2016 at 12:38pm

हार्दिक आभार अदरणीय लक्ष्मण धामी जी!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 19, 2016 at 6:16am

बहुत खूब ...हार्दिक बधाई l

Comment by TEJ VEER SINGH on January 18, 2016 at 10:30pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on January 18, 2016 at 10:29pm

हार्दिक आभार आदरणीय फ़ूल सिंह जी!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 18, 2016 at 10:26pm
मायने समझाते हुए सब उल्टा-पुल्टा हो गया। बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए तहे दिल बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय तेज वीर सिंह जी।
Comment by PHOOL SINGH on January 18, 2016 at 2:37pm

अति सुंदर रचना आपको बहुत  बहुत बधाई स्वीकार हो

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