.
.
.
.
.
.
तो मान लेना तुमने अपना सब गवां दिया...
Comment
भाई अश्विनी कुमार जी, श्री मिथिलेश वामनकर जी ने जो किया वह एक वरिष्ठ जागरुक सदस्य का कर्तव्य था, जिसकी मैं भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँI यह एक स्वस्थ परंपरा है, जिसका पालन हर ईमानदार लेखक और पाठक को करना चाहिए ताकि साहित्य चोरी पर अंकुश लगाया जा सकेI क्योंकि कल को कोई व्यक्ति आपकी रचना को आपने नाम से प्रकाशित करवाने का प्रयत्न करे तो ऐसी जागरूक और चौकन्नी निगाहें ही उसे पकड़ पाने में सक्षम होंगीI किन्तु उनके द्वारा उठाई गई आपत्ति पर अपना स्पष्टीकरण दिया तो बात शीशे की तरह साफ़ हो गईI लेकिन फिर भी पूर्व प्रकाशित रचना होने के कारण इसे हटाया जाएगाI आश्वस्त रहे, इस परिवार में जानबूझ कर किसी भी सम्मानित सदस्य की शान में कभी कोई गुस्ताखी नहीं की जातीI बहरहाल, इस मँच पर बने रहना या इसे छोड़ना आपकी निजी पसंद पर निर्भर करता हैI
आदरणीय योगराज जी, शायद आप मुझसे ज्यादा अनुभवी हैं और आपको ज्ञान भी मुझसे ज्यादा है. लेकिन शायद आप यह नहीं देख पाए कि समय अंतराल मेरा ही ब्लॉग है और अजमेरनामा.कॉम पर यह पोस्ट मेरे नाम से ही प्रकाशित हुई है. आप देख सकते हैं कि किस दिनांक में यह रचना किसके नाम से और सबसे पहले प्रकाशित हुई है. मैंने इस रचना की चोरी हेतु अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट भी डाला था, क्योंकि यह रचना शायद काफी लोगों को पसंद आई है और शायद इसी कारण नए नए लोगों ने इसे अपने नाम से प्रकाशित कर लिया है. वह कॉपी राईट जैसी किसी चीज़ से शायद अवगत नहीं है और अगर अब भी आपको लगता है कि मेरी सदस्यता समाप्त होनी चाहिए तो आपको जरुरत नहीं है मैं खुद ही ऐसे किसी मंच से नहीं जुड़ना चाहता हूँ जो इस तरह की बातें करते हैं. मिथिलेश जी शायद अब तो आप जान ही गए होंगे... समय अंतराल मेरा ही ब्लॉग है और चोरी के कारण ही इस ब्लॉग से मैंने अपना ट्विटर और फेसबुक पेज भी जोड़ा हुआ है.
श्री अश्विनी कुमार जी, इस रचना की मौलिकता के बारे में अगले 24 घंटे तक अपना पक्ष रखें, ऐसा न करने पर आपकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है I
आदरणीय अश्विन जी, यह रचना पूर्व प्रकाशित रचना है जिसे कई लोगों ने अपने नाम से पोस्ट किया है. आपसे विनम्र निवेदन है कि इस मंच पर केवल मौलिक व अप्रकाशित रचना ही स्वीकार्य है अतः आशा है आप दुबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे. सुलभ सन्दर्भ हेतु कुछ लिंक प्रस्तुत है-
http://samay-antraal.blogspot.in/2013/12/blog-post_31.html
http://meriahesas.blogspot.in/2014/03/blog-post_28.html
http://shalusinghlic.blogspot.in/2014/04/blog-post_25.html?view=mag...
http://lavtiwari.blogspot.in/2015/04/meri-maa-ne-jhoot-bol-ke.html
हार्दिक बधाई अश्विन कुमार जी!बहुत सुंदर प्रस्तुति!
तो मान लेना तुमने अपना सब गवां दिया...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online