For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो छुपाते रहे अपना दर्द

अपनी परेशानियाँ

यहाँ तक कि

अपनी बीमारी भी….

 

वो सोखते रहे परिवार का दर्द

कभी रिसने नहीं दिया

वो सुनते रहे हमारी शिकायतें

अपनी सफाई दिये बिना ….

 

वो समेटते रहे

बिखरे हुये पन्ने

हम सबकी ज़िंदगी के …..

 

हम सब बढ़ते रहे

उनका एहसान माने बिना

उन पर एहसान जताते हुये

वो चुपचाप जीते रहे

क्योंकि वो पेड़ थे

फलदार

छायादार ।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 717

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on February 8, 2016 at 6:03pm

आदरणीय नीरज जी आपने रचना में अपना कीमती वक़्त दिया बहुत आभार आपका। ... 

Comment by नादिर ख़ान on February 8, 2016 at 6:02pm

आदरणीय  सौरभ सर  आपकी  टिप्पणी सदैव मार्गदर्शन  प्रदान करती है, तहे  दिल से आपका शुक्रिया ...  

Comment by नादिर ख़ान on February 8, 2016 at 6:02pm

आदरणीय तेजवीर साहब आपने रचना को जो  मान दिया उसका बहुत शुक्रिया

Comment by नादिर ख़ान on February 8, 2016 at 6:02pm

आदरणीया राहिला जी हौसला अफ़ज़ाई  का  बहुत बहुत शुक्रिया ....लेखन सार्थक हुआ ।  

Comment by Neeraj Neer on February 5, 2016 at 10:48pm

बहुत सुंदर .... पिता ऐसे ही होते हैं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2016 at 10:34pm

इस प्रस्तुति के नायक के प्रति नमन !

एक सशक्त एवं सार्थक रचना केलिए हार्दिक धन्यवाद, नादिर भाई. 

Comment by TEJ VEER SINGH on February 5, 2016 at 10:28am

हार्दिक बधाई आदरणीय नादिर खान साहब  जी!बेहतरीन प्रस्तुति!

Comment by Rahila on February 4, 2016 at 11:33am
सही मायनों में जो पिता है उनका बहुत खूबसूरत और प्यारा चित्रण किया आपने आदरणीय नादिर खान साहब! हार्दिक बधाई आपको ।आदाब
Comment by नादिर ख़ान on February 4, 2016 at 11:16am

जनाब सलीम  शेख साहब हौसला अफ़ज़ाई के लिए, तहे दिल से आपका शुक्रिया। 

Comment by नादिर ख़ान on February 4, 2016 at 11:15am

आदरणीय मिथिलेश जी आपकी सराहना से धन्य हुआ। अभी भी आशंकित हूँ कि भावों को कविता का रूप दे पाया या नहीं
वैसे अपनी अतुकांत रचनाओं को लेकर हमेशा संशय में रहता हूँ । आपकी टिप्पणी से संतोष मिला, सीखना जारी है ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service