For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चौकीदारी - ( लघुकथा ) –

चौकीदारी -  ( लघुकथा )  –

"तिवारी जी,सुना है आप के तो दौनों बेटे बहुत बडे   गज़टैड अफ़सर हैं!आप कैसे आ फ़ंसे यहां बृद्धाश्रम में"!

"सुनील जी, मैं तो यहां स्वेच्छा से आया हूं, बच्चे तो बहुत ज़िद करते हैं अपने साथ रखने की"!

"क्यों मज़ाक करते हो तिवारी जी,दिल बहलाने को सब यही कहते हैं, पर कौन अपना घर परिवार छोड कर यहां आता है"!

"यह मज़ाक नहीं,हक़ीक़त है"!

"फ़िर इसके पीछे कोई विशेष कारण रहा होगा"!

"ठीक सोचा आपने"!

"अगर ऐतराज़ ना हो तो वह कारण भी बता दीजिये"!

"सुनील जी,मैंने दौनों बेटों के यहां रह कर देखा!दौनों पति पत्नी नौकरी करते हैं! दौनों बेटों के एक एक बच्चा है जो हॉस्टल में डाल रखा है!दिन भर घर पर मैं अकेला!एक मिनट को आराम नहीं मिलता!सुबह से शाम तक ! कभी काम वाली बाई,कभी कोरिअर वाला,कभी कचरे वाला,कभी गैस वाला,कभी पोस्ट्मैन,कभी दूधवाला,सब्ज़ीवाला,कभी चंदा मांगने वाले, बीसियों कंपनियों के सेल्स मैन, भिखारी अलग तंग करते हैं ! दिन भर फ़ोन बजता है, उसको भी सुनो ! इसके अलावा जान का खतरा , कोई भी अकेला देख गला दबा जाय! एक मिनट को सुक़ून नहीं"!

"समझ गया तिवारी जी, दो वक़्त की रोटी में दिन भर की चौकीदारी"!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 832

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on February 16, 2016 at 12:44pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on February 16, 2016 at 12:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय मुज़फ़्फ़र इक़बाल सिद्दिक़ी जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on February 16, 2016 at 12:42pm

हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा पांडे जी!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 16, 2016 at 11:52am

आ0 भाई तेजवीर जी अच्छी लघुकथा हुई है । बहुत बहुत बधाई ।

Comment by MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI on February 15, 2016 at 11:00pm
"समझ गया तिवारी जी, दो वक़्त की रोटी में दिन भर की चौकीदारी"!
 आज के ज़माने में यथार्त का चित्रण करती हुई , एक कहानी। 
                                      बहुत खूब। 
Comment by pratibha pande on February 15, 2016 at 7:49pm

बुज़र्गों के प्रति ये व्यवहार  आधुनिक समाज में आम हो गया है  अच्छा विषय उठाते हुए कथा लिखी  है आपने .मेरी बधाई स्वीकार करें   

Comment by TEJ VEER SINGH on February 15, 2016 at 1:21pm

 हार्दिक आभार आदरणीय जानकी वाही जी!

Comment by Janki wahie on February 14, 2016 at 10:06pm
आज़ की विडम्बना माँ बाप तो चौकीदार भर ही रह गए।मार्मिक कथा।हार्दिक बधाई आ.tez vir ji
Comment by TEJ VEER SINGH on February 14, 2016 at 10:00pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on February 14, 2016 at 9:59pm

हार्दिक आभार आदरणीया राहिला जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"खुद ही अपनी ज़िन्दगी दुश्वार भी करते रहे दोस्तों से गैर सा व्यवहार भी करते रहे धर्म-संकट से बचाना…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल में रदीफ़, काफ़िया और बह्र की दृष्टि से प्रयास सधा हुआ है। इसे प्रशंसनीय अभ्यास माना जा…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सादर , अभिवादन आदरणीय।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"नफ़रतों की आँधियों में प्यार भी करते रहे।शांति का हर ओर से आधार भी करते रहे।१। *दुश्मनों के काल को…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जय-जय"
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"स्वागतम"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"आ. सौरभ सर श्राप है या दुआ जा तुझे इश्क़ हो मुझ को तो हो गया जा तुझे इश्क़ हो..इस ग़ज़ल के…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. नाथ जी "
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. विजय जी "
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. अजय जी "
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. समर सर. पता नहीं मैं इस ग़ज़ल पर आई टिप्पणियाँ पढ़ ही नहीं पाया "
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service