चिडिया उड गयी - ( वैलेंटाइन डे पर विशेष ) – ( लघुकथा ) -
गोपाल के परिवार को तीन महीने हो गये थे नये मुहल्ले मेंआये हुए!उसके पडोस में एक सुंदर लडकी रहती थी!शायद कमला नाम था!उसकी मॉ सारे दिन कम्मो कम्मो चिल्लाती रहती थी क्योंकि उसका पैर घर के अंदर नहीं टिकता था!!कमला अधिकतर घर के दरवाज़े पर ,लॉन में,छत पर या झूले पर ही दिखती थी ! धूप हो या ना हो हर समय काला धूप का चश्मा लगाये रहती थी !
गोपाल जब भी उस तरफ़ देखता कुछ ना कुछ इशारे करती दिखती!कभी कभी उसके हाथ में कोई खतनुमा कागज़ भी होता था!नया नया मुहल्ला था इसलिये गोपाल कोई प्रति उत्तर देने में हिचकता था!पर मन ही मन विचलित हो जाता था!रोज़ सोचा करता कि आज जवाब दूंगा मगर ऐन वक्त पर हिम्मत ज़वाब दे जाती!
गोपाल ने हिम्मत ज़ुटाकर वैलेंटाइन डे पर अपने प्यार का इज़हार करने का पक्का कार्यक्रम बना लिया था!इसलिये वह एक खूबसूरत सा कीमती ग्रीटिंग कार्ड भी ले आया था!रात भर उसे शेरो शायरी से सज़ाता रहा!एक लाल गुलाब के फ़ूलों का गुच्छा और पर्फ़्यूम भी लाया था!वह बेहद खुश था क्योंकि उस दिन रविवार भी था अतः कालेज भी नहीं जाना था!
वैलेंटाइन डे वाले दिन गोपाल सारी वस्तुएं एक थैले में डालकर बार बार घर के बाहर चक्कर लगा आता मगर कमला एक बार भी बाहर ही नहीं निकली!सुबह से शाम हो गयी!गुलाब के फ़ूल भी मुरझाने लगे!अंधेरा होने लगा मगर कमला नहीं दिखी और ना ही कमला के घर में कोई हलचल दिख रही थी!
रात हो गयी तो निराश होकर गोपाल ने मॉ से पूछ ही लिया," मॉ अपने पडौस में इतना सन्नाटा क्यों है"!
"खबरदार, भूलकर भी उधर मत जाना,कमला घर से भाग गयी है, सारा परिवार उसे ढूंढने गया है"!
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!
आ0 भाई तेजवीर जी इस कथा के लिए हार्दिक बधाई ।
हार्दिक आभार आदरणीय राहिला जी!
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