For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संग क़ातिल का तू मांगता, क्या करूँ- ग़ज़ल इस्लाह के लिये

2122 122 122 12
है गज़ब का तेरा, मामला क्या करूँ।
संग क़ातिल का तू, मांगता क्या करूँ।।

ये मुहब्बत की औ मुस्कुराने की ज़िद।
मन तू पागल हुआ, जा रहा क्या करूँ।

डूबकर तू नज़र के समन्दर में भी।
आंसुओं से बचत, चाहता क्या करूँ।।

जाल में खुद उलझ कर परिंदे बता।
ख्वाब परवाज़ के, देखता क्या करूँ।।

तू बता खुद ही तू, रास्ता अब दिखा।
आग से प्यास का, फैसला क्या करूँ।।

Views: 588

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 16, 2016 at 2:37pm
आदरणीय लक्षमण सर सादर आभार
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 16, 2016 at 11:51am

आ0 भाई पंकज जी इस सुंदर गजल के लिए बहुत बहुत बधाई ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 16, 2016 at 12:29am
और यहाँ आपकी ग़ज़ल देखकर ज़ह्न में एक सवाल उठ रहा है कि ओबीओ का ये ख़ास नियम होते हुए भी ऐसी रचनाऐं अप्रूव्ड क्यूँ हो जाती हैं ? ऐसी रचनाओं को स्वीकृति मिलना ग़ैर ज़िम्मेदाराना अमल है ,मैं जनाब एडमिन साहिब को इस तरफ़ तवज्जो दिलाना चाहता हू।


आदरणीय समर कबीर सर, इस बात का अर्थ समझ नहीं पा रहा हूँ, कुछ स्पष्ट करेंगे तो अच्छा होगा।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 16, 2016 at 12:15am
आदरणीय समर कबीर सर, सादर कुछ बिंदु प्रस्तुत हैं, समुचित उत्तर की अभिलाषा है।
ब्लेक (ब्लैक)
अटेक (अटैक)
पेक (पैक)

कुछ और भी अपभ्रंश जो ग़ज़लों में प्रयुक्त होते हैं-

भरम (भ्रम)
करम (कर्म)
धरम (धर्म)

आदि.......


मुआमला शुद्धतम रूप है, लेकिन मामला अद्यतन प्रचलित और साहित्य तथा व्यवहार में मान्य शब्द है।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 16, 2016 at 12:00am
एक प्रश्न-मुआमला की मात्रा क्या होगी?

क्या मामला शब्द जो की प्रचलन में है, उसे अस्वीकार किया जाए?

क्या ग़ज़ल में अपभ्रंश/ लोकप्रचलन के शब्द प्रयुक्त नहीं होते?
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 15, 2016 at 11:57pm
आदरणीय समर कबीर सर, आपके सुझाव स्वीकार्य हैं, मौलिक-अप्रकाशित गलती से छूट गया, अक्सर लिख देता हूँ। सादर
Comment by Samar kabeer on February 15, 2016 at 11:35pm
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी,आदाब,अच्छी ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
मतले के ऊला मिसरे में "मामला" शब्द लिया है आपने,आपकी जानकारी के लिये बताना चाहता हूँ,सही शब्द "मुआमला" है ।
आपने अपनी ग़ज़ल के नीचे मौलिक व अप्रकाशित नहीं लिखा है,और यहाँ आपकी ग़ज़ल देखकर ज़ह्न में एक सवाल उठ रहा है कि ओबीओ का ये ख़ास नियम होते हुए भी ऐसी रचनाऐं अप्रूव्ड क्यूँ हो जाती हैं ? ऐसी रचनाओं को स्वीकृति मिलना ग़ैर ज़िम्मेदाराना अमल है ,मैं जनाब एडमिन साहिब को इस तरफ़ तवज्जो दिलाना चाहता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service