For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कथा-गीत: मैं बूढा बरगद हूँ यारों... --संजीव 'सलिल'

कथा-गीत:
मैं बूढा बरगद हूँ यारों...
संजीव 'सलिल'
*
MFT01124.JPG

*
मैं बूढा बरगद हूँ यारों...

है याद कभी मैं अंकुर था.
दो पल्लव लिए लजाता था.
ऊँचे वृक्षों को देख-देख-
मैं खुद पर ही शर्माता था.

धीरे-धीरे मैं बड़ा हुआ.
शाखें फैलीं, पंछी आये.
कुछ जल्दी छोड़ गए मुझको-
कुछ बना घोंसला रह पाये.

मेरे कोटर में साँप एक
आ बसा हुआ मैं बहुत दुखी.
चिड़ियों के अंडे खाता था-
ले गया सपेरा, किया सुखी.

वानर आ करते कूद-फांद.
झकझोर डालियाँ मस्ताते.
बच्चे आकर झूला झूलें-
सावन में कजरी थे गाते.

रातों को लगती पंचायत.
उसमें आते थे बड़े-बड़े.
लेकिन वे मन के छोटे थे-
झगड़े ही करते सदा खड़े.

कोमल कंठी ललनाएँ आ
बन्ना-बन्नी गाया करतीं.
मागरमाटी पर कर प्रणाम-
माटी लेकर जाया करतीं.

मैं सबको देता आशीषें.
सबको दुलराया करता था.
सबके सुख-दुःख का साथी था-
सबके सँग जीता-मरता था.

है काल बली, सब बदल गया.
कुछ गाँव छोड़कर शहर गए.
कुछ राजनीति में डूब गए-
घोलते फिजां में ज़हर गए.

जंगल काटे, पर्वत खोदे.
सब ताल-तलैयाँ पूर दिए.
मेरे भी दुर्दिन आये हैं-
मानव मस्ती में चूर हुए.

अब टूट-गिर रहीं शाखाएँ.
गर्मी, जाड़ा, बरसातें भी.
जाने क्यों खुशी नहीं देते?
नव मौसम आते-जाते भी.

बीती यादों के साथ-साथ.
अब भी हँसकर जी लेता हूँ.
हर राही को छाया देता-
गुपचुप आँसू पी लेता हूँ.

भूले रस्ता तो रखो याद
मैं इसकी सरहद हूँ प्यारों.
दम-ख़म अब भी कुछ बाकी है-
मैं बूढा बरगद हूँ यारों..
***********************

Views: 542

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 20, 2010 at 12:01pm
भूले रस्ता तो रखो याद
मैं इसकी सरहद हूँ प्यारों.
दम-ख़म अब भी कुछ बाकी है-
मैं बूढा बरगद हूँ यारों..

आचार्य जी आज धीरे धीरे मूल्याविहीन हो रहे समाज मे बूढ़े बरगद की बहुत ही आवश्यकता है,बहुत ही अर्थपूर्ण और सार्थक अभिव्यक्ति है, सादर आभार ,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 18, 2010 at 6:33pm
आचार्य जी के चरणों में सादर प्रणाम

बरगद की यह कथा आज समाज में बुजुर्गों की स्थिति की ओर भी इंगित करती है. और अंतिम पंक्तियाँ यह एहसास भी कराती है कि यदि जीवन पथ में कभी भटकाव कि स्थिति आये तो अपने उसी बुजुर्ग बरगद कि शरण में जाओ. लक्ष्य सम्मुख ही प्रतीत होगा...........

सादर........
Comment by Admin on June 17, 2010 at 10:38pm
आचार्य जी, एडमिन की पहुच केवल किसी भी पोस्ट के शीर्षक तक ही है, उसमे ही संपादन हो सकता है, बाकी मुख्य रचना को छेड़ने का अधिकार ब्लॉग पोस्ट कर्ता के अलावा एडमिन सहित किसी को भी नहीं दिया गया है हा प्रबंधन द्वारा पोस्ट को हटाया जा सकता है,
बरगद के पेड़ को आप द्वारा यहाँ से download कर Edit Post द्वारा डाला जा सकता है,
Comment by sanjiv verma 'salil' on June 17, 2010 at 7:33pm
बहुत सुन्दर बरगद. संभव हो तो गीत के साथ संलग्न कर दें. सराहना हेतु आभार.
Comment by Admin on June 17, 2010 at 6:58pm

बहुत ही सुंदर रचना है आचार्य जी , बार बार पढ़ने को जी चाहता है,
Comment by Pallav Pancholi on June 17, 2010 at 12:23am
संजीव जी...... बहुत खूब......... आपको सदर नमन इंटनी सुंदर रचना हेतु

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"वहशी दरिन्दे क्या जानें, क्या होता सिन्दूर .. प्रस्तुत पद के विषम चरण का आपने क्या कर दिया है,…"
52 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"अय हय, हय हय, हय हय... क्या ही सुंदर, भावमय रचना प्रस्तुत की है आपने, आदरणीय अशोक भाईजी. मनहरण…"
59 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं अपने प्रस्तुत पोस्ट को लेकर बहुत संयत नहीं हो पा रहा था. कारण, उक्त आयोजन के दौरान हुए कुल…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. 16,15 =31…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"काफ़िराना (लघुकथा) : प्रकृति की गोद में एक गुट के प्रवेश के साथ ही भयावह सन्नाटा पसर गया। हिंदू और…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मनचाही सभी सदस्यों नमन, आदरणीय तिलक कपूर साहब से लेकर भाई अजय गुप्त 'अजेय' सभी के…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका कहना सही है, पुराने सदस्यों को भी अब सक्रिय हो जाना चाहिए।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"<span;>आदरणीय अजय जी <span;>आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है। यह मंच हमेशा से पारस्परिक…"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी साथियों को प्रणाम, आदरणीय सौरभ जी ने एक गंभीर मुद्दे को उठाया है और इस पर चर्चा आवश्यक है।…"
8 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"विषय बहुत ही चुनकर देते हैं आप आदरणीय योगराज सर। पुराने दिन याद आते हैं इस आयोजन के..."
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, प्रस्तुत रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।तीसरी और चौथी पंक्तियों को पढ़ते समय…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, अच्छी रचना है सादर बधाई आपको"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service