For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कर रहा क्या करम धर्म के नाम पर

आदमी बेशरम धर्म के नाम पर

दान की लाडली देव घर के लिये 
बन गये वो हरम धर्म के नाम पर

लूटते मारते काटते आदमी
ज़न्नतों का भरम धर्म के नाम पर

​​कर दिये हैं फ़ना बेजुबां जानवर

​जुल्म का है चरम धर्म के नाम पर

कौन साईं हुये?और शनि देव है?
है बहस ये गरम धर्म के नाम पर

मिट गया बाँकपन खोइ शालीनता
भाड़ में गइ शरम धर्म के नाम पर

(मौलिक एवं अप्रकाशित) ​​

​​

 

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 3, 2016 at 3:49pm

पटल पे स्थान देने हेतु संपादक मंडल का हार्दिक आभार ....

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 3, 2016 at 3:39pm

धन्यवाद आदरणीय Shyam Narain जी... 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 3, 2016 at 3:39pm

धन्यवाद आदरणीय laxman dhami जी... 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 3, 2016 at 3:34pm

धन्यवाद आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आगे से ख्याल रखूँगा ....

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 3, 2016 at 3:32pm

धन्यवाद आदरणीय Ravi Shukla  जी...हाँ ये ग़लती हुई है कि बहर का उल्लेख नहीं किया...आइन्दा ख्याल रखूँगा वैसे ग़ज़ल की बहर २१२ २१२ २१२ २१२ है..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 1, 2016 at 9:01pm

आदरणीय बृजेश ब्रज भाई , अच्छी गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ आपको । आदरनीय रवि भाई जी के बात से मै भी सहमत हूँ म बहर का उल्लेख ज़रूर किया कीजिये , ऊपर ।

Comment by Ravi Shukla on March 1, 2016 at 5:58pm

आदरणीय बृजेश जी बधाई इस गजल के लिये  दो जगह  आपने शर्म को श्‍ारम लिया है 21 की जगह 12 इससे मिसरा बह्र में नहीं हो रहा । गजल से पहले उसका अरकान लिखने का निवेदन है है मंच का नियम भी है । सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 1, 2016 at 11:39am

हार्दिक बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on February 29, 2016 at 12:42pm
बहुत उम्दा ... बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service