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लिटिल चैम्पियन ( लघुकथा )

"महज़ सात वर्ष की उम्र में "सिल्वर स्क्रीन लिटिल चैम्पियन" जीतने वाला तुम्हारे डांसर बेटे का ,ये क्या हाल हो गया रेखा ?"
 " उस लिटिल चैम्पियनशिप ने ही तो उसको बरबाद किया है " उसने अपने आँखों में उतरे समंदर को संभालते हुए कहा ।
 " ये क्या कह रही हो तुम ! "
 "हाँ ,सच कह रही हूँ , उस चैम्पियनशिप जीतने के बाद नाचने में ही वह लगा रहा , पढ़ाई छूट गयी उसकी , और तुम तो जानती हो कि फिल्मी दुनिया के भाई -भतीजेवाद में कहाँ मिलता है बाहर वालों को स्थान ? "
 " वह स्टेज परफॉर्मर तो बन ही सकता है अपने इस छोटे शहर में ! "
 " अरे , वह इतना बड़ा " सिल्वर स्क्रीन अवार्डी " क्या गलियों -मुहल्लों में नाचता फिरेगा ? "
 " समझ गयी , इसलिए अब वह , सिर्फ नाईट -क्लब में , नशा करते हुए जिंदगी के खोये सपनो को ढूंढता फिरता है "



मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by kanta roy on March 28, 2016 at 10:01am

आपको कथा  अछि  लगी  मेरे  लिए  हर्ष  का  विषय  है  आदरणीय तेजवीर  जी  . आभार  आपको 

Comment by kanta roy on March 28, 2016 at 10:00am

मेरी  रचना कर्म पर  सदा  मेरा  हौसला  बढ़ाती  है आप  आदरणीया  नीता  जी . दिल  से  आभार  आपको 

Comment by kanta roy on March 28, 2016 at 9:59am

आभार  आपको  तहेदिल  आदरणीया  राहिला  जी  कथा  पर  मुझे  प्रोत्साहित  करने  हेतु  

Comment by TEJ VEER SINGH on March 3, 2016 at 12:16pm

हार्दिक बधाई आदरणीय कांता जी!बेहतरीन प्रस्तुति!

Comment by Nita Kasar on March 2, 2016 at 12:28pm
बच्चों पर अपनी उम्मीदों का बोझ डालकर कितना गलत करते है माता पिता काश समय रहते बच्चों को संभाल लेते और उन्है बचपन जीने का मौका देते ।बधाई प्रेरक कथा के लिये आद०कांता राय जी ।
Comment by Rahila on March 1, 2016 at 7:42am
ये एक ऐसा सच हैं जो बच्चों का बचपन तो छीन ही लेता है आगे की जिन्दगी भी अंधेरों में धकिल जाती है । और ऊपर से अति महत्वकांक्षी मां बाप कसर पूरी कर देते है । बहुत बधाई आपको आदरणीया कांता दी! ये रचना तो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचनी चाहिये । सादर

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