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मित्रो , आज दिनांक ०३. ०३. २०१६ को विवाह की ४०वीं वर्षगांठ के
अवसर पर अपने हमसफ़र को समर्पित दिल के अहसास :


मैं नहीं जानता
मेरे अलफ़ाज़
तेरे दिल की गहराईयों में
कब तक गूंजते हैं
मगर जब तेरी नज़र उठती है
मुझे अपने वुज़ूद का
अहसास होता है
जब तेरी पलक की नमी
मेरी पलक को छूती है
मुझे अपनी मुहब्बत का
अहसास होता है
जब तेरे सुर्ख लबों पे
मुस्कुराहट अंगड़ाई लेती है
मेरी धड़कनों को
तेरी करीबी का
अहसास होता है
जब तेरे गेसुओं में
वेणी अपनी महक का रंग
बरसाती है
मुझे कुछ गुज़रे लम्हात का
अहसास होता है
पीछे मुड़ के देखें तो
अपने निशानों में बोलती
अपनी ही आहटें
बड़ी अज़ीज़ लगती हैं
तुम संग हुई बातें
अपना नसीब लगती हैं
मेरे तसव्वुर में
तुम हर लम्हा साथ रहती हो
दो जिस्म इक जान का
अहसास कराती हो
बहुत नज़रें है जो नज़र लगाती हैं
मगर मुहब्बत के आगे
हार जाती हैं
अब तो ख़ुदा से बस यही दुआ है
रहे सांस जब तलक
रहूँ साथ तेरे
मेरी पलकों में हों बस
सदा स्वप्न तेरे
बदलते हैं मौसम
तो बदलने दो इनको
बदले न मौसम
ये तेरे और मेरे

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Sushil Sarna on March 4, 2016 at 2:26pm

आ.    kanta roy जी प्रस्तुति के भावों को मान देने एवं आपकी आत्मीय  शुभकामनाओं के लिए बंदा  दिल से आभार व्यक्त करता है। 

Comment by Sushil Sarna on March 4, 2016 at 2:25pm

आ.    बृजेश कुमार 'ब्रजजी प्रस्तुति के भावों को मान देने एवं आपकी आत्मीय  शुभकामनाओं के लिए बंदा  दिल से आभार व्यक्त करता है। 

Comment by Sushil Sarna on March 4, 2016 at 2:25pm

आ.    pratibha pande   जी प्रस्तुति के भावों को मान देने एवं आपकी आत्मीय  शुभकामनाओं के लिए बंदा  दिल से आभार व्यक्त करता है। 

Comment by Sushil Sarna on March 4, 2016 at 2:24pm

आ.   Shyam Narain Verma   जी प्रस्तुति के भावों को मान देने एवं आपकी आत्मीय  शुभकामनाओं के लिए बंदा  दिल से आभार व्यक्त करता है। 

Comment by Sushil Sarna on March 4, 2016 at 2:23pm

आ.  Samar kabeer    जी प्रस्तुति के भावों को मान देने एवं आपकी आत्मीय  शुभकामनाओं के लिए बंदा  दिल से आभार व्यक्त करता है। 

Comment by kanta roy on March 4, 2016 at 1:13pm
सबसे पहले तो आपको बहुत बहुत शुभ कामना इस अनुपम पल ,वर्षगांठ के लिए ॥
आपकी रचना पढ़ते हुए मुझे क्लासिक फिल्मों में " नवरंग " जो अभिनेत्री संध्या द्वारा अभिनीत हुई थी ,सहसा याद आ गई । पति की कल्पना में उतरी उस सौभाग्या को आपने भी अपनी इन प्रस्तुत पंक्तियों में उतार दिया है ।
वंदन आप दोनों का ॥
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 4, 2016 at 12:43pm

वाह आदरणीय बहुत ही खूबसूरत ..हार्दिक शुभकामनायें  

Comment by pratibha pande on March 3, 2016 at 8:08pm

वाह ,बहुत खूबसूरत एहसास ,और उतने ही सुन्दर शब्द मिले हैं ,हार्दिक बधाई आपको आदरणीय  सुशील सरना जी इस रचना पर 

Comment by Shyam Narain Verma on March 3, 2016 at 6:20pm

शादी की वर्ष गाँठ पर बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें ......

सादर

Comment by Samar kabeer on March 3, 2016 at 5:55pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,सबसे पहले तो शादी की 40वीं सालगिरह की ढेरों बधाइयां स्वीकार करें,दुआ है कि ज़िन्दगी की तमाम खुशियाँ आपको नसीब हों ।
बहुत ही सुंदर है आपके एहसासात जो आपने अपनी कविता में मोतियों की तरह जड़ दिये हैं,ढेरों बधाई स्वीकार करें इस भावभीनी प्रस्तुति के लिये ।

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