For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मित्रो , आज दिनांक ०३. ०३. २०१६ को विवाह की ४०वीं वर्षगांठ के
अवसर पर अपने हमसफ़र को समर्पित दिल के अहसास :


मैं नहीं जानता
मेरे अलफ़ाज़
तेरे दिल की गहराईयों में
कब तक गूंजते हैं
मगर जब तेरी नज़र उठती है
मुझे अपने वुज़ूद का
अहसास होता है
जब तेरी पलक की नमी
मेरी पलक को छूती है
मुझे अपनी मुहब्बत का
अहसास होता है
जब तेरे सुर्ख लबों पे
मुस्कुराहट अंगड़ाई लेती है
मेरी धड़कनों को
तेरी करीबी का
अहसास होता है
जब तेरे गेसुओं में
वेणी अपनी महक का रंग
बरसाती है
मुझे कुछ गुज़रे लम्हात का
अहसास होता है
पीछे मुड़ के देखें तो
अपने निशानों में बोलती
अपनी ही आहटें
बड़ी अज़ीज़ लगती हैं
तुम संग हुई बातें
अपना नसीब लगती हैं
मेरे तसव्वुर में
तुम हर लम्हा साथ रहती हो
दो जिस्म इक जान का
अहसास कराती हो
बहुत नज़रें है जो नज़र लगाती हैं
मगर मुहब्बत के आगे
हार जाती हैं
अब तो ख़ुदा से बस यही दुआ है
रहे सांस जब तलक
रहूँ साथ तेरे
मेरी पलकों में हों बस
सदा स्वप्न तेरे
बदलते हैं मौसम
तो बदलने दो इनको
बदले न मौसम
ये तेरे और मेरे

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on March 4, 2016 at 2:26pm

आ.    kanta roy जी प्रस्तुति के भावों को मान देने एवं आपकी आत्मीय  शुभकामनाओं के लिए बंदा  दिल से आभार व्यक्त करता है। 

Comment by Sushil Sarna on March 4, 2016 at 2:25pm

आ.    बृजेश कुमार 'ब्रजजी प्रस्तुति के भावों को मान देने एवं आपकी आत्मीय  शुभकामनाओं के लिए बंदा  दिल से आभार व्यक्त करता है। 

Comment by Sushil Sarna on March 4, 2016 at 2:25pm

आ.    pratibha pande   जी प्रस्तुति के भावों को मान देने एवं आपकी आत्मीय  शुभकामनाओं के लिए बंदा  दिल से आभार व्यक्त करता है। 

Comment by Sushil Sarna on March 4, 2016 at 2:24pm

आ.   Shyam Narain Verma   जी प्रस्तुति के भावों को मान देने एवं आपकी आत्मीय  शुभकामनाओं के लिए बंदा  दिल से आभार व्यक्त करता है। 

Comment by Sushil Sarna on March 4, 2016 at 2:23pm

आ.  Samar kabeer    जी प्रस्तुति के भावों को मान देने एवं आपकी आत्मीय  शुभकामनाओं के लिए बंदा  दिल से आभार व्यक्त करता है। 

Comment by kanta roy on March 4, 2016 at 1:13pm
सबसे पहले तो आपको बहुत बहुत शुभ कामना इस अनुपम पल ,वर्षगांठ के लिए ॥
आपकी रचना पढ़ते हुए मुझे क्लासिक फिल्मों में " नवरंग " जो अभिनेत्री संध्या द्वारा अभिनीत हुई थी ,सहसा याद आ गई । पति की कल्पना में उतरी उस सौभाग्या को आपने भी अपनी इन प्रस्तुत पंक्तियों में उतार दिया है ।
वंदन आप दोनों का ॥
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 4, 2016 at 12:43pm

वाह आदरणीय बहुत ही खूबसूरत ..हार्दिक शुभकामनायें  

Comment by pratibha pande on March 3, 2016 at 8:08pm

वाह ,बहुत खूबसूरत एहसास ,और उतने ही सुन्दर शब्द मिले हैं ,हार्दिक बधाई आपको आदरणीय  सुशील सरना जी इस रचना पर 

Comment by Shyam Narain Verma on March 3, 2016 at 6:20pm

शादी की वर्ष गाँठ पर बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें ......

सादर

Comment by Samar kabeer on March 3, 2016 at 5:55pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,सबसे पहले तो शादी की 40वीं सालगिरह की ढेरों बधाइयां स्वीकार करें,दुआ है कि ज़िन्दगी की तमाम खुशियाँ आपको नसीब हों ।
बहुत ही सुंदर है आपके एहसासात जो आपने अपनी कविता में मोतियों की तरह जड़ दिये हैं,ढेरों बधाई स्वीकार करें इस भावभीनी प्रस्तुति के लिये ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service