समूचा क्षेत्र सूखे और अकाल की चपेट में था! चारों ओर त्राहि त्राहि मची हुई थी!लोग एक एक बूंद पानी को तरस रहे थे!ऐसे में गॉव के प्रधान वीर पाल ने आस पास के सभी गॉवों में मुनादी पिटवा दी कि बारिस करवाने के लिये महायज्ञ और भागवत कथा का आयोजन कराया जा रहा है!यह कार्य क्रम पंद्रह दिन चलेगा!मथुरा वृंदावन से साधु संत और भागवत कथा वाचक बुलाये जायेंगे!अनुमानित खर्चा इक्यावन हज़ार के लगभग होगा!सभी लोग अपनी सामर्थ्य और श्रद्धा से इस दान पुन्य के महोत्सव मे बढ चढ कर भाग लें!
नियत तिथि पर प्रधान जी के जानवरों के घेर(परकोटा )में यह शुभ कार्य प्रारंभ हो गया!मुख्य द्वार पर प्रधान जी का पुत्र रसीद बुक लेकर चंदा वसूली का कार्य संभाल रहा था!सुबह से शाम तक लोगों का तांता लगा हुआ था! अच्छी खासी क़माई हो रही थी! नगदी के अलावा फ़लफ़ूल,मिठाई और मेवे भी भरपूर आ रहे थे!
पूरे पंद्रह दिन बाद इस महा यज्ञ की पूर्णाहुति हो गयी!लोग अब बारिस का बेसब्री से इंतज़ार करने लगे!
शाम को उसी घेर में प्रधान जी और उनका बेटा प्रसाद के रूप में सोमरस ग्रहण कर रहे थे!
"बापू, अगर अब भी बारिस नहीं हुई तो"!
"तो क्या होगा,अपनी तिज़ोरी में तो भरपूर धन वर्षा हो गयी ना"!
मौलिक व अप्रकाशित
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हार्दिक आभार आदरणीय सतविंदर जी!
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