For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता :- श्रम को सलाम है !

कविता :- श्रम को सलाम है !

छेनियों हथौडियो की चोट को

उस ओट को सलाम है

छाले पड़े हाथों के वोट को सलाम है !

 

श्रम को सलाम

और श्रमिक को सलाम है

रोटी मिलती तब ही मिलता जब काम है !!

 

काम चाहे अच्छा हो

या कि उत्कृष्ट हो

होता किसका नाम है श्रम को सलाम है !!!

 

मेहनत मजूरी और घर से ये दूरी

पाती फोन कौन कहे

पीड़ा यहाँ आम है श्रम को सलाम है !!!!

 

धिक् है दुत्कार है

मौन सी चीत्कार है

फटकार हर धाम है श्रम को सलाम है !!!!!

 

मार्क्स लेनिन कौन कहे

बरम बाबा नाम है

पूजा परनाम है श्रम को सलाम है !!!!!!

Views: 5658

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on May 4, 2012 at 11:15am
यह कविता एडमिन  जी और हमारा मेट्रो के प्रयास से  हमारा मेट्रो दिल्ली के ०३ मई २०१२  के अंक में प्रकाशित हुई है | हार्दिक आभार !!
Comment by Abhinav Arun on May 4, 2011 at 3:46pm
adaraniya shri ambarish jee ,shri dheeraj jee ,ismat jee , satish jee thanks for your appreciation and comments >
Comment by Er. Ambarish Srivastava on May 3, 2011 at 9:39am

धिक् है दुत्कार है

मौन सी चीत्कार है

फटकार हर धाम है श्रम को सलाम है !!!!!

 

मार्क्स लेनिन कौन कहे

बरम बाबा नाम है

पूजा परनाम है श्रम को सलाम है !!!!!!

 

सुप्रभात अरुण जी! आपकी पंक्तियाँ मर्मस्पर्शी हैं ......
मजदूरों को देखिये
रखिये अच्छे भाव.
मधुर वचन सम्मान से भरते इनके घाव ..

Comment by Dheeraj on May 2, 2011 at 9:43pm

काम चाहे अच्छा हो

या कि उत्कृष्ट हो

होता किसका नाम है श्रम को सलाम है !!!

 

मेहनत मजूरी और घर से ये दूरी

पाती फोन कौन कहे

पीड़ा यहाँ आम है श्रम को सलाम है !!!!

 

 

 

आह निःसंदेह भावनात्मक रचना अरुण जी.................... काश आपके इस रचना की टीस कुछ हम जैसो तो कुछ ना कुछ उन जैसो पर भी पड़े जो कमजोर वर्ग पर पैसो के दम जनवरो से भी बुरा सलूक करने मे शरमाते तक नही भले ही बाद मे ग़रीबी और मानवता को अपने कहकशे के साथ भरी महफ़िल मे अपने सामाजिकता और सामाजिक कद के चक्कर मे बेशर्मी से भाषण देने मे कोई शर्म ना महसूस हो

Comment by ismat zaidi on May 2, 2011 at 9:32pm
छाले पड़े हाथों के वोट को सलाम है !
श्रम को सलाम
और श्रमिक को सलाम है
बहुत बढ़िया !
Comment by satish mapatpuri on May 2, 2011 at 12:03pm

छेनियों हथौडियो की चोट को

उस ओट को सलाम है

छाले पड़े हाथों के वोट को सलाम है !

श्रम को सलाम

और श्रमिक को सलाम है


श्रम को सलाम करने के लिए साधुवाद अभिनवजी. आपको दाद देने के क्रम में मैं अपनी दो पंक्तियाँ उधृत कर रहा हूँ ------
"श्रमिक के भाल पे चमके पसीना उसको कहते हैं.
जो माटी में गिरे तन से नगीना उसको कहते हैं . 
Comment by Abhinav Arun on May 1, 2011 at 10:12am

स्नेह के लिये पुनः आभार सौरभ जी !!

Comment by Abhinav Arun on April 30, 2011 at 4:16pm
आदरणीय श्री पाण्डेय जी कविता पर टिप्पणी  हेतु  आभारी हूँ | आपकी विस्तृत समीक्षा ने इस तुच्छ सी भाव रचना को सामर्थ्यवान बना दिया पुनः आभार और शुक्रिया |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 30, 2011 at 3:58pm
//धिक् है दुत्कार है

मौन सी चीत्कार है

फटकार हर धाम है श्रम को सलाम है !!!!!

मार्क्स लेनिन कौन कहे

बरम बाबा नाम है

पूजा परनाम है श्रम को सलाम है !!!!!! //

 

इन पंक्तियों से संसृत विडम्बनाओं और हाहाकारी परिस्थितियों को अनदेखा करना असंवेदनशीलता ही होगी.  श्रम के प्रत्युत धिक्कार और दुत्कार तथा प्रति उपजी बियाबान चीत्कार एक ऐसी सच्चाई है जिसे देखते और फिर महसूस सभी करते हैं, किन्तु समझते कम हैं.

डा. पूरन सिंह ने भले ही अपने अमर निबंध ’मजदूरी और प्रेम’ में बरसों पहले किसी मजदूर के श्रम को कमतर आँकने को मानव और मानवता के प्रति घोर अन्याय कहा था लेकिन सार्थक साहित्य आजतक अपने सामाजिक दायित्त्व के प्रति अपनी लाचारी और निरर्थकता पर मौन ही दीखता है.. अरुणजी बहुत-बहुत धन्यवाद.

पुनश्च:  संलग्न चित्र का पेस्टर कलर आपकी भावनाओं की टीस को उभारने में सर्वथा सक्षम है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service