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लघु कविता :- माँ

माँ !
देखा तो होगा तुझे
पर चेहरा याद नहीं
न ही तेरी तस्वीर कोई मेरे पास
सुना भी होगा तुझे
पर शब्द याद नहीं
हां याद है हर पल मेरे साथ
चलता तेरा साया
जिससे लिपट कर कई रातों को रोया हूँ मैं
माँ तेरे लिये !!
(अभिनव अरुण )

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Comment

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Comment by Abhinav Arun on May 10, 2011 at 3:20pm
टिप्पणी के लिए आभारी हूँ श्री सौरभ जी |साथ ही सर्वश्री संजय जी ,और  गुरूजी  आप  का  भी  हार्दिक  आभार  | टिप्पणी  रचना  के गंभीर  पठन  की  प्रतीक  है  | शुक्रिया  | 
 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 10, 2011 at 2:48pm

".. .. कई रातों को रोया हूँ मैं / माँ तेरे लिये!!.."

कोमलतम भावों के निश्शब्द स्वरूप के प्रति श्रेयस्कर होगा मैं कोई स्वर न दूँ.  एक के ’न होने’  का उत्कट भान उसके ’न होने’ की तासीर बहुगुणित कर देती है..  आभार.

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on May 10, 2011 at 2:14pm
" दिल की गहराईयों से आप को बहुत-बहुत धन्यवाद ,
// आप की यह एक छोटी सी रचाना इस बहुत बड़े ह्रदय के साग़र में भावनाओं का एक बहुत बड़ा त्सुनामी ला दिया......................................
Comment by Rash Bihari Ravi on May 10, 2011 at 1:42pm
मन की गहराई तक समा जाने वाली कृति बहुत बढ़िया सर जी ,
Comment by Abhinav Arun on May 10, 2011 at 1:36pm

नियति और यथार्थ को स्वर देती ये मेरी रचना आप सबको पसंद आयी आभारी हूँ | श्री बागी जी , धीरज जी, वीरेंदर जी और इस्मत जैदी जी आप सबका तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by Dheeraj on May 10, 2011 at 12:38pm
मार्मिक रचना अरुण जी, ह्रदय में टीस और आँखों में नमी उतर आई. सदर नमन है इस शब्द  "माँ" और आपके लेखनी को
Comment by Veerendra Jain on May 10, 2011 at 12:33pm

हां याद है हर पल मेरे साथ
चलता तेरा साया
जिससे लिपट कर कई रातों को रोया हूँ मैं
माँ तेरे लिये !!

 

bahut hi behatarin ..Arunji...bahut bahut badhai aapko ..is bhavparak rachna ke liye...

Comment by ismat zaidi on May 10, 2011 at 12:23pm
man ko chhootee huee rachna

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 10, 2011 at 11:55am
सीधे ह्रदय को बेधने वाली रचना, बहुत ही सुंदर अरुण भाई सच मानिए "घाव करे गंभीर" वाली बात है इस रचना में | आपके लेखनी को वंदन है |

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