रोटी (लघु कथा )
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ऑफिस में लंच का वक़्त होते ही आज़ाद ने खाना खाने के बाद रोज़ की तरह बाहर आकर एक मिट्टी के बर्तन में पानी भरके पास में बाजरे के दाने डाल दिए ,ताकि चिड़ियाँ भी अपनी भूक और प्यास बुझ सकें | सामने दो कुत्ते भी इंतज़ार में खड़े हुए थे , आज़ाद ने बची हुई रोटी के दो टुकड़े करके उनकी तरफ फेंक दिए | ....... अचानक बड़ा कुत्ता एक टुकड़ा मुंह में दबा कर दूसरे टुकड़े की तरफ बढ़ने लगा , यह देख कर छोटा कुत्ता फ़ौरन आगे बढ़ा ,...... देखते ही देखते दोनों कुत्ते आपस में झगड़ने लगे ,कभी रोटी के टुकड़े बड़े कुत्ते के मुंह कभी छोटे कुत्ते के मुंह में और कभी ज़मीन पर। ....... आसमान पर एक उड़ती हुई चील यह मंज़र देख कर फ़ौरन नीचे आई और मौक़ा मिलते ही रोटी के टुकड़े लेकर उड़ गई | ..... हैरतज़दा आज़ाद ख़ामोश कभी उड़ती चील की तरफ देखता है कभी दोनों कुत्तों को जो रोटी मुंह में आकर भी नहीं खा सके। --------------
( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
मोहतरम जनाब लछ्मण रामानुज साहिब ,लघु कथा को पसंद करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी
मोहतरमा रेखा साहिबा ,लघु कथा को पसंद करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी
मोहतरमा राजेश कुमारी साहिबा ,लघु कथा को बारीकी से देखने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी
छिना झपटी की बढती आदत पर बहुत सुंदर लघु कथा हुई है जो सीयास की राजनीती करने वालों के लिए सन्देश है |
प्रेरणादायक कथा |बधाई |
प्रतीकों के माध्यम से आज के वक़्त पर मानव के व्यवहार पर सटीक कटाक्ष किया है आ० तस्दीक जी इसमें कोई दो राय नहीं होगी अगर कहूँ की आज की सियासत में भी यही सब देखने को मिल रहा है और आजकल हमारे देहरादून में तो बिलकुल यही हो रहा है :))))
जनाब विजय साहिब ,लघु कथा में गहरायी से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
जनाब सुनील वर्मा साहिब ,लघु कथा में गहरायी से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
बहुत खूब। लघु कथा अच्छी लिखी है। बधाई।
मोहतरमा राहिला साहिबा , लघु कथा को गहराई से देखने और हौसला अफ़ज़ाई का , तहेदिल से आपका शुक्रिया ,महरबानी
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