लघुकथा : " बेटी का भाग्य "
" आज कुछ परेशान से दिख रहे हो, क्या बात है ? चाय बना के लाऊँ ?" पत्नी ने पूछा...
" हाँ ! पर थोड़ी कड़क। " पति ने कहा...
कुछ देर बाद...
" ये लो तुम्हारी कड़क चाय, अब बताओ बात क्या है ? " पत्नी ने चाय का प्याला देते हुए कहा...
" आज पुरुषोत्तम जी मिले थे, उनकी बेटी दो दिनों से लापता है। कोचिंग गई थी पर लौटी नही उसके बाद से। " पति ने चाय का घूँट लेते हुए कहा...
" अरे... तो कोचिंग में पता किया के नही उन्होंने ? " पत्नी ने हैरान होते हुए पूछा...
" सब जगह पूछ लिया पर कहीं पता नही चल रहा। उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट कर दिया है। उनकी पत्नी का बुरा हाल है रो-रो के। "
" क्या ज़माना आ गया है ? बेटियां कहीं भी सुरक्षित नही है आज के परिवेश में। कहीं कोख में मारी जा रही, तो कहीं दहेज़ के लिए जला दी जा रही, तो कहीं बलात्कार का शिकार हो रही ! क्या बेटियों के भाग्य में यही लिखा है ?" पत्नी ने प्रश्न करते हुए कहा...
" सही कहा तुमने, इसलिए तो मुझे ईशा की चिंता हो रही है ? अब ये भी तो बड़ी हो रही है..." बेटी की तस्वीर की ओर देखते हुए पति ने चिंतित स्वर में कहा...
( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय राजेश कुमारी जी बिलकुल मैं सभी की लघुकथा को पढूंगा और अध्ययन करूँगा. कथा पर टिपण्णी के धन्यवाद एवं आभार .
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी सादर धन्यवाद कथा को समय देने के लिए.
आदरणीय मिथिलेश जी आपने कथा को अपना बहुमूल्य समय दिया एवंम टिपण्णी की जिसके लिए बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद. जी बिलकुल उस आलेख को जरूर पढूंगा .
आदरणीय नोहर सिंह जी, इस प्रयास हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है. ओबीओ पर आदरणीय योगराज सर के लघुकथा सम्बंधित आलेख हैं उन्हें एक बार गंभीरता से जरुर पढ़ जाइएगा. कई बातें स्पष्ट होंगी. सादर
सुंदर लघु कथा
बेटी को लेकर आज हर माता पिता की चिंता स्वाभाविक है | अच्छी लघु कथा किन्तु जो लघु कथा को सार्थक बनाती है वो पंच लाइन देखने को नहीं मिली आप सबकी लघु कथा पढ़िए आप समझ जायेंगे |बहरहाल हार्दिक बधाई आपको और बेहतर लिखने का प्रयास कीजिये |
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