For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : " बेटी का भाग्य "

" आज कुछ परेशान से दिख रहे हो, क्या बात है ? चाय बना के लाऊँ ?" पत्नी ने पूछा...
" हाँ ! पर थोड़ी कड़क। " पति ने कहा...
कुछ देर बाद...
" ये लो तुम्हारी कड़क चाय, अब बताओ बात क्या है ? " पत्नी ने चाय का प्याला देते हुए कहा...
" आज पुरुषोत्तम जी मिले थे, उनकी बेटी दो दिनों से लापता है। कोचिंग गई थी पर लौटी नही उसके बाद से। " पति ने चाय का घूँट लेते हुए कहा...
" अरे... तो कोचिंग में पता किया के नही उन्होंने ? " पत्नी ने हैरान होते हुए पूछा...
" सब जगह पूछ लिया पर कहीं पता नही चल रहा। उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट कर दिया है। उनकी पत्नी का बुरा हाल है रो-रो के। "
" क्या ज़माना आ गया है ? बेटियां कहीं भी सुरक्षित नही है आज के परिवेश में। कहीं कोख में मारी जा रही, तो कहीं दहेज़ के लिए जला दी जा रही, तो कहीं बलात्कार का शिकार हो रही ! क्या बेटियों के भाग्य में यही लिखा है ?" पत्नी ने प्रश्न करते हुए कहा...
" सही कहा तुमने, इसलिए तो मुझे ईशा की चिंता हो रही है ? अब ये भी तो बड़ी हो रही है..." बेटी की तस्वीर की ओर देखते हुए पति ने चिंतित स्वर में कहा...

( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 535

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er Nohar Singh Dhruv 'Narendra' on April 27, 2016 at 3:08pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी बिलकुल मैं सभी की लघुकथा को पढूंगा और अध्ययन करूँगा. कथा पर टिपण्णी के धन्यवाद एवं आभार .

Comment by Er Nohar Singh Dhruv 'Narendra' on April 27, 2016 at 3:06pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी सादर धन्यवाद कथा को समय देने के लिए.

Comment by Er Nohar Singh Dhruv 'Narendra' on April 27, 2016 at 3:04pm

आदरणीय मिथिलेश जी आपने  कथा को अपना बहुमूल्य  समय दिया एवंम  टिपण्णी की जिसके लिए बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद. जी बिलकुल उस आलेख को जरूर पढूंगा .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 26, 2016 at 10:40pm

आदरणीय नोहर सिंह जी, इस प्रयास हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है. ओबीओ पर आदरणीय योगराज सर के लघुकथा सम्बंधित आलेख हैं उन्हें एक बार गंभीरता से जरुर पढ़ जाइएगा. कई बातें स्पष्ट होंगी. सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 26, 2016 at 5:47pm

सुंदर  लघु कथा 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 26, 2016 at 2:51pm

बेटी को लेकर आज हर माता पिता की चिंता स्वाभाविक है | अच्छी लघु कथा किन्तु जो लघु कथा को सार्थक बनाती है वो पंच लाइन देखने को नहीं मिली आप सबकी लघु कथा पढ़िए आप समझ जायेंगे |बहरहाल हार्दिक बधाई आपको और बेहतर लिखने का प्रयास कीजिये |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service