For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अति का अंत

परलोक में सृष्टि के रचयिता, मनुष्यों के कृत्यों से काफ़ी परेशान थे |

रचयिता ने पहले ही भू-लोक में महान हस्तियों के रूप में अवतरित होकर मनुष्यों को सही राह पर चलने की शिक्षा दे चुके थे, पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी |

उन्होंने अपने शिल्पकार को बुला कर कहा, " मनुष्यों ने अब बहुत अति कर ली है, जल्द ही इनके अति का अंत करना होगा | "
"पर मनुष्य तो आपको सबसे प्रिय है ना, फिर उनको..? " शिल्पकार ने कहा |
"प्रिय तो मुझे वो जीव भी थे जिन्हें मनुष्य डायनासोर कहते थे....| "


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 895

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 10, 2015 at 7:38pm

"प्रिय तो मुझे वो जीव भी थे जिन्हें मनुष्य डायनासोर कहते थे....| " बहुत ही उपयुक्त !

Comment by Er Nohar Singh Dhruv 'Narendra' on August 25, 2015 at 12:06am
आद० विजय निकोरे सर एवं आद० गोपाल नारायण सर आप दोनों को हृदय से धन्यवाद जो आपने कथा को अपना बहुमूल्य समय दिया तथा सराहना भरी टिप्पणी की... सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2015 at 4:27pm

कमाल की पञ्च लाइन है . बधाई हो .

Comment by vijay nikore on August 20, 2015 at 3:48pm

प्रतीक की माध्यम सुन्दर लघुकथा । हार्दिक बधाई। 

Comment by Er Nohar Singh Dhruv 'Narendra' on August 20, 2015 at 3:37pm
आद० ममता जी शुक्रिया सराहना के लिए...
Comment by Mamta on August 20, 2015 at 10:51am
Bahut sundar v sargarbhit badhai hai aapko!
Comment by Er Nohar Singh Dhruv 'Narendra' on August 20, 2015 at 4:45am
आद० अर्चना जी, आद० मिथलेश वामनकर जी एवं आद० प्रतिभा पांडे जी आप सभी का तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद..
Comment by pratibha pande on August 19, 2015 at 9:53pm

एक नए विचार के साथ ,रोचक कहानी ,बधाई आपको सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 19, 2015 at 9:27pm

आदरणीय नोहर सिंह जी प्रतीकात्मक रूप से कथानक गढ़ते हुए मर्म को बड़े सधे ढंग से शाब्दिक किया है. इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. शीर्षक के चयन के लिए विशेष बधाई 

Comment by Archana Tripathi on August 19, 2015 at 7:45pm
प्रतिको का उपयोग करते हुए आपने बहुत ही बेहतरीन रचना लिखी हैं ।हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
11 hours ago
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Sheikh Shahzad Usmani जी, अपने शीर्षक को सार्थक करती बहुत बढ़िया लघुकथा है। यह…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service