२१२२/२१२२/२१२२/२१२ आप पहले झोपडी तो इक बनाकर देखिये ख्वाब फिर महलों के भी दिल में सजा कर देखिये मैं नहीं हूँ तो हुआ क्या ये ग़ज़ल मेरी तो है मेरी गजलें भी कभी तो गुनगुना कर देखिये जिस तरफ देखोगे, तुमको बस नजर आयेंगे हम है मगर बस शर्त इतनी मुस्कुराकर देखिये है विरह के बाद में ही यार मिलने का मज़ा आग पहले ये विरह की खुद लगा कर देखिये चीज़ मय अच्छी बुरी है आप मत बोले अभी |
जाम पहले ओंठो से अपने लगाकर देखिये
मौलिक व अप्रकाशित
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आदरणीय आशुतोष भाई , बढिया गज़ल कही है , हार्दिक बधाई आपको गज़ल के लिये ।
मेरी ग़ज़लों भी कभी तो गुनगुना कर देखिये --- मेरी गज़लें -- करना सही होगा
आग पहले ये विरह की खुद लगा कर देखिये -- इस विरह की आग को दिल में लगा कर देखिइये --- वैसे आपका मिसरा बहर मे है फिर भी एक संभावना ऐसे भी कह सकने की है ।
आप पहले झोपडी तो इक बनाकर देखिये
ख्वाब फिर महलों के भी दिल में सजा कर देखिये
मैं नहीं हूँ तो हुआ क्या ये ग़ज़ल मेरी तो है
मेरी ग़ज़लों भी कभी तो गुनगुना कर देखिये
बहुत सुंदर आदरणीय खूबसूरत अहसासों को आपने दिलकश अंदाज़ में पेश किया है। दिल से स्वीकार करें सर।
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