कितने थक गए हैं
ये लम्बे तन्हा रास्ते
सृजन और संहार की
इनमें सदियाँ समाई हैं
किसी के सपने लड़खड़ाये हैं
किसी आंखें डबडबाई हैं //
ये रास्ते नहीं जानते
किस बशर की
मंज़िल कौन सी है
फिर भी ये हर बशर को
मंज़िल तक पहुंचाते हैं
अपनी मंज़िल से बेख़बर ये रास्ते
तमाम उम्र फिर किसी बशर को
उसकी मंज़िल तक पहुंचाने के लिए
वहीं खड़े रह जाते हैं//
खामोश से इन रास्तों के
हर फासले पत्थर पर
इनकी उम्र लिख दी जाती है
जैसे जैसे इस उम्र बढ़ती है
मंज़िल करीब नज़र आती है
और कभी कभी मरीचिका भी बन जाती है //
प्रेमी पथिक इस उम्र के पत्थर पर
बैठकर बतियाते हैं
आने वाले कल के सपने सजाते हैं
और वृद्ध इस पर बैठकर
अपनी थकी साँसों से
शेष उम्र का अंदाजा लगाते हैं
मुसाफिर आते हैं जाते हैं
और ये उम्र के पत्थर
मील के पत्थर बन जाते हैं
ये हर मौसम में
रास्तों का साथ निभाते हैं //
बशर इन रास्तों से कुछ सीख नहीं पाता
बस रास्तों के सीनों पर
अपने बशर होने के
अहम की ठोकर छोड़ जाता है
जाने क्यों इंसां समझ नहीं पाता
रास्तों की उम्र
सहनशीलता से कभी कम नहीं होती //
इंसान अपने दम्भ के साथ
इन्हीं मूक रास्तों पर बढ़ते बढ़ते
अपना वज़ूद खो देता है
रास्ते वहीं रह जाते हैं
अंज़ामे अहम पर मुस्कुराते हैं //
ये रास्ते
साथ साथ चलते हैं
पर कभी इन्सां सा
अहम नहीं करते हैं//
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी प्रस्तुति को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार।
आदरणीय रामबली गुप्ता जी प्रस्तुति को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार। नेट प्रॉब्लम से आभार प्रगट करने में विलम्ब हुआ, क्षमा चाहूंगा।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online