For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अखियाँ ढूंढें अपना गाँव ...

अखियाँ ढूंढें अपना गाँव ...

दूर दूर तक
काली सड़कें
न पीपल न छाँव
अखियाँ ढूंढें अपना गाँव

नीला अम्बर
पड़ गया काला
अब धरा पे फैला धुंआ
अखियाँ ढूंढें अपना गाँव

कंक्ट्रीट के
जंगल फैले
अब दिखता नहीं कुआं
अखियाँ ढूंढें अपना गाँव

हल-बैल का
अब युग बीता
ट्रैक्टर हुआ जवां
अखियाँ ढूंढें अपना गाँव

सांझ के खेले
ढपली मेले
खो गए जाने कहाँ
अखियाँ ढूंढें अपना गाँव

दूर दूर के
गाँव आते
सुख दुःख होता जहां
अखियाँ ढूंढें अपना गाँव

पेड़ तले
पंचायत नहीं अब
गया गुड़ गुड़ हुक्का कहां
अखियाँ  ढूंढें  अपना  गाँव

घूंघट वाली
गोरी अब न
और न बाजैं पैंजैनियां
अखियाँ ढूंढें अपना गाँव

नयी सभ्यता की
चकाचौंध में
खो गया मेरा गाँव
अखियाँ ढूंढें अपना गाँव

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on May 9, 2016 at 7:47pm

आदरणीय  सतविन्द्र कुमार जी  प्रस्तुति के भावों को मान देने के लिए आपके तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 7, 2016 at 11:16pm
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय।
Comment by Sushil Sarna on May 7, 2016 at 12:05pm
आदरणीय डॉ. गोपाल जी भाई साहिब प्रस्तुति आपके स्नेह के अलंकरण से धन्य हुई। आपकी स्नेहाशीष का दिल से शुक्रिया।
Comment by Sushil Sarna on May 7, 2016 at 12:03pm
आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति के भावों को मान देने के लिए आपके तहे दिल से शुक्रिया।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 7, 2016 at 10:35am

गाँवों को भी नागर सभ्यता डस रही है और कवी को उस पुरानेगांव का तलाश है , अच्छी प्रस्तुति . . 

Comment by Samar kabeer on May 6, 2016 at 10:47pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,"कांक्रीट का जंगल"ने बहुत देर तक बांधे रखा,वाह क्या कहने इस प्रस्तुति के,मज़ा आगया,ढेरों बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदाब,'नूर' साहब, सुन्दर  रचना है, मगर 'ग़ज़ल ' फार्मेट में…"
7 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ अड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"अश्रु का नेपथ्य में सत्कार भी करते रहेवाह वाह वाह ... इस मिसरे से बाहर निकल पाऊं तो ग़ज़ल पर टिप्पणी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं

.सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं  जहाँ मक़ाम है मेरा वहाँ नहीं हूँ मैं. . ये और बात कि कल जैसी…See More
yesterday
Ravi Shukla posted a blog post

तरही ग़ज़ल

2122 2122 2122 212 मित्रवत प्रत्यक्ष सदव्यवहार भी करते रहेपीठ पीछे लोग मेरे वार भी करते रहेवो ग़लत…See More
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा अर्थ प्रेम का है इस जग में आँसू और जुदाई आह बुरा हो कृष्ण…See More
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service