For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख्वाब-ऐ-बशर ...

आज फिर
किसी का चूल्हा
उदास ही
बिन जले सो गया।

आज फिर
सांझ के दामन पे
भूख लिख गया कोई।

आज फिर
पेट की आग
झूठी आशा की बर्फ से
ठंडी कर
सो गया कोई।

आज फिर
कटोरे से
सिक्कों की आवाज़
रूठी रही।

आज फिर
खारा जल
पकी दाढ़ी को
धोता रहा।

आज फिर
निराशा का कफ़न ओढ़े
बिन साँसों के
सो गया कोई।

आज फिर
अग्नि को
जीवन का
अंतिम क्षण भी
दे गया कोई।

आज फिर
ज़िंदगी की खूंटी पर
तार तार हुए
संघर्ष के पैराहन
टांग गया कोई।

आज फिर
किसी क़बा के पैबंद
ज़ीस्त को चिढ़ाते रहे
सिलसिला चलता रहा
सहर होती रही
सांझ ढलती रही
कोई जान भी न पाया
स्याह तारीकियों की
ग़ुम दीवारों पर
आज फिर
इक ख्वाब-ऐ-बशर
लगा गया कोई।

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 396

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2016 at 1:46pm

आदरणीया राहिला जी प्रस्तुति में निहित भावों को आत्मीय सम्मान देने का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2016 at 1:45pm

आदरणीय तस्दीक साहिब प्रस्तुति पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Rahila on May 16, 2016 at 9:26am
बहुत खूब लिखते हैं आप आदरणीय सुशील सर जी! इस शानदार रचना के लिये खूब, खूब बधाई ।सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 15, 2016 at 9:34pm

मोहतरम जनाब सुशील सरना  साहिब ,दिल की गहराइयों में जज़्बाती रचना  के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by Sushil Sarna on May 14, 2016 at 4:15pm

आदरणीय रामबली गुप्ता जी प्रस्तुति में निहित भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by रामबली गुप्ता on May 13, 2016 at 3:59pm
आपके प्रस्तुतियों की गूढ़ता सदा ही प्रभावित करती है आदरणीय। ढेरों बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service